आखिर गंगा नदी में ही क्यों प्रवाहित होती हैं अस्थियां, जाने इसके धार्मिक व वैज्ञानिक कारण : Religion


Why Immersion of Ashes in the Ganges: हिंदू रीति रिवाज के अनुसार जब हमारे बुजुर्ग या किसी परिचित की मृत्यु होती हैं तो उनके परिजन मृतक की आत्मा की शान्ति के लिए उसकी अस्थियों को गंगा नदी में प्रवाहित करते हैं. पर आपके मन में कभी ना कभी यह ख्याल तो जरूर आया होगा कि,

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आखिर क्यों मृत्यु के बाद अस्थियां गंगा नदी में ही प्रवाहित की जाती हैं (Why Immersion of Ashes in the Ganges). किसी दूसरी नदी सरोवर या सागर में क्यों नहीं. हम आप सभी को बता दें कि, यह परम्परा लाखों करोड़ों वर्षो से चलती आ रही है. और लोग आज भी अपने परिजनों की अस्थियां गंगा नदी में ही प्रवाहित करते हैं.

पर आजकल के अधिकांश लोगों को इनके पीछे का कारण (Why Immersion of Ashes in the Ganges) नहीं पता है. और ना धार्मिक के साथ वैज्ञानिक कारण की जानकारी है. यही कारण है कि, हम अपने इस लेख के माध्यम से गंगा नदी में अस्थियां प्रवाहित करने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण की पूरी जानकारी देंगे.

हम आप सभी को बता दें, हमारे शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि, गंगा को मोक्षदायिनी भी कहते हैं इसका अर्थ ये भी है कि, अगर गंगा के समीप काशी में किसी व्यक्ति का निधन हो रहा है और अंतिम संस्कार इसी के तट पर होने

के पश्चात अस्थियों का विसर्जन यहीं होता है तो मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह तो हमने गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने का धार्मिक कारणों का उल्लेख किया है आब बात करते हैं गंगा में अस्थि विसर्जन (Why Immersion of Ashes in the Ganges) के पीछे की वैज्ञानिक कारण क्या है.

यह बात तो हम सभी बखूबी जानते हैं कि, भारत में कई पवित्र नदियां हैं जिनके अलग-अलग मान्यताएं भी हैं लेकिन पूरे देश में हिंदू धर्म के लोग मृत्यु के बाद अपने संबंधियों (Relatives) की अस्थियों का विसर्जन गंगा नदी में ही क्यों करते हैं (Why Immersion of Ashes in the Ganges). खास तौर पर इसकी मुख्य वजह धार्मिक ही है पर इसकी वैज्ञानिक वजह भी है.

गंगा नदी को मिला है भगवान कृष्ण का आशीर्वाद

हम आप सभी को बता देगी, शास्त्रों के अनुसार माना जाता है गंगा नदी को भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिला हुआ है. इसके कारण इसमें जब किसी मृतक की अस्थियां प्रवाहित की जाती हैं. तो उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है. जितने दिन भी अस्थियां गंगा में रहती हैं,, उतने दिन तक मृत आत्मा को श्रीकृष्ण के गोलोक धम में रहने का मौका मिलता है.

आप यह भी कह सकते हैं कि, अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. हालांकि भारतीय शास्त्रों में माना गया है कि, जब तक मृतक की अस्थियों को गंगा में विसर्जित नहीं

किया जाता तब तक उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती. इन्हीं कारणों से भगीरथ ने गंगा को स्वर्ग से उतार कर धऱती पर लेकर आए थे. इसके उपरांत वह अपने पितरों की आत्मा को शांति दिलाकर उन्हें स्वर्ग दिला पाए थे.

हम आप सभी को बता दें कि, इसके पीछे भी एक कथा प्रचलित है इस कथा के अनुसार कौरवों और पांडवों के पूर्वज राजा सगर हुए थे. जिनके 60 हजार पुत्र थे. ऋषि कपिल ने नाराज होकर उन्हें श्राप दिया और राजा सगर के

60 हजार पुत्रों की मृत्यु हो गई. पर उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल रही थी. तब इसी वंश के भगीरथ ने माता गंगा को तप से धरती पर लाने का प्रण लिया. और अपने तप के बदौलत ही माता गंगा को धरती पर लेकर आए

इसीलिए कहा भी जाता है कि, जिस शख्स की अस्थियां गंगा में प्रवाहित की जाती है, उसकी आत्मा को स्वर्ग में रहने का सौभाग्य मिलता हैं. अगर उसके कर्म खराब हों तो भी वह स्वर्ग में रहती है लेकिन एक तय समय के लिए

अस्थि विसर्जन को गंगा में बहाने के पीछे वैज्ञानिक कारण

आप सभी को बता दें कि, अस्थि विसर्जन को गंगा में प्रवाहित करने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं. हड्डियों में Calcium और Phosphorus होता है. ये नदी के किनारे की भूमि के लिए खासा उपजाऊ होता है. और पानी में रहने वाले जीवों को पौष्टिक आहार भी मिलता है. पानी की Fertility Power भी इससे बढ़ती है.

आप सभी को जानते हैं कि, गंगा भारत की सबसे बड़ी और पवित्र नदी है, लिहाजा इसे भी जीवित रहने के साथ आसपास की भूमि को उपजाऊ रखने के लिए ये करना जरूरी है.

हिंदू धर्म में मान्यता है कि, अस्थियों का विसर्जन अगर गंगा में हो और हरिद्वार, काशी, इलाहाबाद, गया और नासिक में तो ये बहुत अच्छा होता है. हालांकि गंगा जहां से भी बहती है, वहां अस्थि विसर्जन को बेहतर माना गया है.

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