दूसरों के सहारे 8 बार CM बने नीतीश कुमार, जाने कब-कब किसके साथ…. : Politics


Bihar: बिहार के सियासी माहौल को देखकर लग रहा है कि कभी भी कुछ भी हो सकता है। महागठबंधन सरकार की अगुवाई कर रही नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच तल्खी इस कदर बढ़ गई है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार के पाला बदलने की चर्चा तेज हो गई है. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी आलाकमान की नजर भी बिहार की सियासत पर है।

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जेडीयू और आरेजडी के बीच अनबन गहरा गया है. बिना नाम लिए सीएम नीतीश ने परिवारवाद पर लालू यादव के परिवार पर निशाना साध दिया। वहीं लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी बिना नाम लिए नीतीश कुमार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बिहार का सियासी पारा चढ़ा दिया। हालांकि मामला बढ़ता देख रोहिणी ने अपना पोस्ट हटा लिया।

आप सभी को बता दे कि, नीतीश कुमार ने सीएम हाउस पर जेडीयू नेताओं के साथ बैठक की है वहीं लालू यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने राबड़ी देवी के आवास पर आरजेडी नेताओं के साथ। दिल्ली में अमित शाह ने बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी, पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी और अन्य नेताओं के साथ बैठ की तो वहीं इससे पहले बिहार बीजेपी प्रभारी के आवास पर भी बैठक हुई।

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सियासी गहमा-गहमी के बीच अब यह लगभग तय हो गया है कि बिहार में अब बीजेपी और जेडीयू मिलकर सरकार बनाएंगे। ऐसे में अब चिराग पासवान, पशुपति पारस, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं और उनकी पार्टियों के एनडीए में भविष्य को लेकर भी चर्चा होने लगी है। अब इन नेताओं और इनकी पार्टियों का क्या होगा?

नीतीश पहली बार नहीं पलटे है इससे पहले 2013 में नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ नीतीश एनडीए से अलग हो कर 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था और 2015 में पुराने सहयोगी लालू यादव के साथ गठबंधन किया, लेकिन ये सरकार भी 20 महीने ही चली। आरजेडी से अलग होने के बाद नीतीश ने एक बार फिर एनडीए का दामन थामा और आज फिर एनडीए का साथ छोड़ दिया।

आइये एक नजर डालते हैं कि आखिर नीतीश कुमार कब-कब क्यों पलटे

हम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, नीतीश कुमार ने अपने पुराने सहयोगी लालू यादव का साथ साल 1994 में छोड़कर लोगों को चौंका दिया था। नीतीश ने जनता दल से किनारा करते हुए जॉर्ज फ़र्नान्डिस के साथ समता पार्टी का गठन किया था और 1995 के बिहार विधानसभा चुनावों में लालू के विरोध में उतरे पर चुनाव में बुरी तरह से उनकी हार हुई। हार के बाद वो किसी सहारे की तलाश कर रहे थे।

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इसी दौरान उन्होंने 1996 में बिहार में कमजोर मानी जाने वाली पार्टी बीजेपी के साथ मिल गय। बीजेपी और समता पार्टी का ये गठबंधन 17 सालों तक चला। हालांकि, इस बीच साल 2003 में समता पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) बन गई। जेडीयू ने बीजेपी का दामन थामे रखा और साल 2005 के विधानसभा चुनाव में एक शानदार जीत हासिल की। इसके बाद साल 2013 तक दोनों ने साथ मिलकर सरकार चलाई।

बीजेपी ने साल 2013 में लोकसभा चुनाव 2014 के लिए जब नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश कुमार को बिल्कुल रास नहीं आया और उन्होंने बीजेपी से अपना 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया। दरअसल, नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार के वैचारिक मतभेद पुराने रहे हैं। राजद के सहयोग से सरकार चला रहे नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए कुर्सी अपनी सरकार के मंत्री और दलित नेता जीतन राम मांझी को सौंप दिया और वे खुद बिहार विधानसभा चुनाव 2015 की तैयारी में जुट गए।

लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी से पटखनी खा चुके नीतीश कुमार ने साल 2015 में पुराने सहयोगी लालू यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में आरजेडी को जेडीयू से अधिक सीट मिली। बावजूद इसके नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री व बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को स्वास्थ्य मंत्री का पदभार दिया गया।

20 महीने तक तो सब ठीक से चला लेकिन 2017 में दोनों पार्टियों में खटपट शुरू हो गई। अप्रैल 2017 में शुरू हुई खटपट ने जुलाई तक गंभीर रूप ले लिया, जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योजनाबद्ध तरीके से अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। चूंकि, विधानसभा में तभी बीजेपी विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी थी, इसलिए बीजेपी ने मध्यावधि चुनाव से इंकार करते हुए पुराने सहयोगी को समर्थन देने का फैसला किया और नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए। सत्ता पलट का ये पूरा घटनाक्रम नाटकीय तरीके से 15 घंटे के भीतर हुआ। लेकिन ये गलबहियां भी ज्यादा दिन नहीं चली…साल 2022 में नीतीश ने एक बार फिर पलटी मारी और RJD के साथ मिलकर महागठबंधन बना लिया। अब एक बार फिर ऐसा लग रहा है कि, नीतीश कुमार बीजेपी के साथ आने के लिए पलटी मारने वाले हैं।



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