Sarva Pitru Amavasya 2024 : क्या आप जानते है हिन्दू धर्म में अमावस्या के दिन का खास महत्व माना गया है, और जब पितृ पक्ष के दौरान अमावस्या आती है, तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. पित्त पक्ष के वक्त पड़ने वाली अमावस्या दिन पितरों को समर्पित होता है
और इसे “सर्व पितृ अमावस्या” अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) कहते है. हम आपको बता दें इसे महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता हैं, जो अंतिम दिन होता है पितृ पक्ष का. इस साल 2 अक्टूबर 2024 को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी.
हम आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि, सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के दिन अपने पितरों के शान्ती के लिए पितरों के तर्पण के साथ ही पितृ चालीसा का पाठ करना भी शुभ माना जाता है. हमरे इस लेख में आपको “पितृ चालीसा” मिल जाएगा जिसका का पाठ आप कर सकते हैं.
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Sarva Pitru Amavasya 2024 : पितृ चालीसा
दोहा
हे पितरेश्वर आपको दे दो आशीर्वाद,
चरण शीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ.
चौपाई
पितरेश्वर करो मार्ग उजागर,
चरण रज की मुक्ति सागर।
परम उपकार पितरेश्वर कीन्हा,
मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा।
मातृ-पितृ देव मन जो भावे,
सोई अमित जीवन फल पावे।
जय-जय पितर जी साईं,
पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं।
चारों ओर प्रताप तुम्हारा,
संकट में तेरा ही सहारा।
नारायण आधार सृष्टि का,
पितरजी अंश उसी दृष्टि का।
प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते,
भाग्य द्वार आप ही खुलवाते।
झुंझुनू में दरबार है साजे,
सब देवों संग आप विराजे।
प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा,
कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा।
पितर महिमा सबसे न्यारी,
जिसका गुणगावे नर-नारी।
तीन मण्ड में आप बिराजे,
बसु रुद्र आदित्य में साजे।
नाथ सकल संपदा तुम्हारी,
मैं सेवक समेत सुत-नारी।
छप्पन भोग नहीं हैं भाते,
शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते।
तुम्हारे भजन परम हितकारी,
छोटे-बड़े सभी अधिकारी।
भानु उदय संग आप पुजावै,
पांच अंजुलि जल रिझावै।
ध्वज पताका मण्ड पे साजे,
अखण्ड ज्योति में आप विराजे।
सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी,
धन्य हुई जन्म भूमि हमारी।
शहीद हमारे यहाँ पूजाते,
मातृ भक्ति संदेश सुनाते।
जगत पितरों सिद्धान्त हमारा,
धर्म जाति का नहीं है नारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
सब पूजे पितर भाई।
हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा,
जान से ज्यादा हमको प्यारा।
गंगा ये मरुप्रदेश की,
पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की।
बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ,
इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा।
चौदस को जागरण करवाते,
अमावस को हम धोक लगाते।
जात जडूला सभी मनाते,
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते।
धन्य जन्म भूमि का वो फूल है,
जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है।
श्री पितर जी भक्त हितकारी,
सुन लीजे प्रभु अरज हमारी।
निशिदिन ध्यान धरे जो कोई,
ता सम भक्त और नहीं कोई।
तुम अनाथ के नाथ सहाई,
दीनन के हो तुम सदा सहाई।
चारिक वेद प्रभु के साखी,
तुम भक्तन की लज्जा राखी।
नाम तुम्हारो लेत जो कोई,
ता सम धन्य और नहीं कोई।
जो तुम्हारे नित पांव पलोटत,
नवों सिद्धि चरणा में लोटत।
सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी,
जो तुम पे जावे बलिहारी।
जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे,
ताकी मुक्ति अवश्य हो जावे।
सत्य भजन तुम्हारो जो गावे,
सो निश्चय चारों फल पावे।
तुम्हीं देव कुलदेव हमारे,
तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे।
सत्य आस मन में जो होई,
मनवांछित फल पावे सोई।
तुम्हारी महिमा बुद्धि बड़ाई,
शेष सहस्त्र मुख सके न गाई।
मैं अतिदीन मलीन दुखारी,
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी।
अब पितर जी दया दीन पर कीजै,
अपनी भक्ति शक्ति कुछ दीजै।
दोहा
पितरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम,
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम।
झुंझुनू धाम विराजे हैं, पितर हमारे महान,
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान।
जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझुनू धाम,
पितृ चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान.