Bihar Teacher News: अगर आप भी बिहार में नियोजित शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं तो आज का हमारा यह लेख आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है. बिहार के 32000 से अधिक नियोजित शिक्षकों की नौकरी के उपर संकट मंडरा रहा है. दरअसल, शिक्षा विभाग को यह शक है कि नौकरी पाने के लिए इन शिक्षकों ने नकली प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है.
आपको बता देना चाहते हैं कि, निगरानी विभाग से शिक्षा विभाग ने इसकी जांच के लिए शिकायत की है. यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि कई शिक्षकों ने बिहार में दूसरे राज्यों से मिले प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी प्राप्त की है. जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी हुए, उनके खिलाफ विभाग द्वारा कड़ी कार्रवाई की जाएगी और आज तक उन शिक्षकों को जितना वेतन मिला वह भी वसूला जाएगा.
प्रमाण पत्रों की जांच हुई शुरू
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, बिहार शिक्षा विभाग ने अब इन सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दी है. निगरानी विभाग को शिक्षा विभाग ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और
गुजरात के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर सम्बंधित प्रमाण पत्रों की पुष्टि करने का निर्देश दिया है. वहीं, केशव कुमार जो कि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष है उन्होंने कहा कि हमेशा सरकार शिक्षकों का शोषण करती है.
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विभाग कर रहा शिक्षकों को परेशान
हम आपको बता दें कि, शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विभाग के मंत्री, ACS और अधिकारी तो बदल गए, लेकिन अब भी शिक्षकों को परेशान करने की नीति नहीं बदली है. अब शिक्षकों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है. यह पहली बार नहीं है पिछले दस सालों से दस्तावेजों की जांच चल रही है, लेकिन जानबूझ कर निगरानी विभाग के अधिकारी जांच में देरी कर रहे हैं.
3.60 लाख शिक्षक बिहार में
हम आपको बताना चाहते हैं कि बिहार में नियोजित शिक्षकों की संख्या कुल 3.60 लाख हैं. इनमें से पहले ही 2600 शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र मामले में दोषी पाए जा चुके हैं. 1350 शिक्षकों के खिलाफ तो FIR भी दर्ज हो चुकी है और यह मामला कोर्ट में चल रहा है.
लेकिन शिक्षा विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती 18 से 30 साल पुराने प्रमाण पत्रों की जांच करना है. इनमें से कई रिकॉर्ड मैन्युअल रूप से रखे गए हैं और ये रिकॉर्ड कई विश्वविद्यालयों में क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिस कारण से जांच में देरी होने की उम्मीद है.
विभाग के रडार पर सीटीईटी वाले भी
इसके साथ ही CTET परीक्षा में 1400 शिक्षकों के 60 फीसदी से कम अंक पाने का मामला भी सामने निकल कर आया है. नियमों के मुताबिक, बिहार के बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को CTET में 60 प्रतिशत से अधिक अंक पाना अनिवार्य है. विभाग के अनुसार, प्रदेश में काम करने वाले
अब तक 1.87 लाख शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच पूरी हो चुकी है. 37 हजार शिक्षकों ने अभी भी अपने प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं किया है, जिस कारण संदेह और भी गहरा होता जा रहा है. बिहार शिक्षा विभाग ने बताया कि इस मामले में सभी नियोजित शिक्षकों की जांच होगी.