बिहार के कई जिलों की मिठाई देश में तो प्रचलित है ही। साथ ही विदेशों में भी बिहार के मिठास के लोग दीवाने हैं। हम आप सभी को बता दें कि, खगड़िया का एक जगह है करुवामोड़. यहां का पेड़ा काफी मशहूर है आप अगर एक बार इस पेड़ा खा लें तो दूसरे पेड़ों को तो आप भूल ही जाएगा.
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और आप इस पेड़े के दीवाने हो जाइएगा। बच्चे, बूढ़े या जवान करुवामोड़ का पेड़ा नाम सुनकर सभी के मुंह में पानी आ जाता है। खगड़िया के चौथम प्रखंड में NH 107 पर स्थित करुवामोड़ चौक पर 50 से भी अधिक पेड़ों की दुकानें हैं। हम आपको बता दें कि,
यहां पेड़ों का कारोबार कोई छोटा-मोटा कारोबार नहीं है बल्कि यहां का कारोबार 30 करोड़ से भी उपर जाता है। इस पेड़े के दीवाने आम जनता के साथ-साथ आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और बिहार के CM नीतीश कुमार भी हैं.
करुवामोड़ के पेड़े का इतिहास
हम आप सभी को बता दें कि करुवामोड़ के पेड़े का इतिहास 50 साल से भी पुराना है। यहां सबसे पहले पिपरा गांव के निवासी शंकर साव नाम के व्यक्ति ने पेड़ा का व्यवसाय शुरू किया था। जब उनका व्यवसाय चल निकला तो धीरे – धीरे यहां के अन्य लोगों ने भी इस व्यवसाय को रोजगार के रूप में अपनाया।
चूंकि ये एक फरकिया इलाका है, इसलिए यहां ज्यादातर लोग खेती और पशुपालन ही करते है। इसलिए यहां दूध अच्छी मात्रा में मिल जाता है। जिससे शुद्ध खोवे का पेड़ा तैयार किया जाता है। इस पेड़े के कीमत की बात करें तो 200- 300 रुपये किलो बिकता है। यहां का पेड़ा बिहार, बंगाल, झारखंड और असम तक जाता है।
सालान करोड़ों का है कारोबार
पेड़ा विक्रेता सदानंद साव ने बताया कि करुवामोड़ का पेड़ा सिर्फ Bihar में ही नहीं बल्कि यहां का पेड़ा झारखंड, बंगाल समेत अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है। इसके अलावा इधर से गुजरने वाले अन्य जिलों के राहगीर भी खास कर यहां रुककर पेड़ा जरूर खरीदते हैं। बताया जाता है कि, एक पेड़ा कारोबारी सालाना लगभग 5 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा लेता है. इस हिसाब से देखा जाए तो पूरे करुवामोड़ में सालाना 30 करोड़ का कारोबार होता है।
प्रतिदिन यहां 500 लीटर से अधिक दूध का बनता है पेड़ा
कई दुकानदारों ने बताया कि, रोजाना यहां 500 लीटर से अधिक दूध की खपत होती है। यहां चौथम, मानसी, बेलदौर, गोगरी, अलौली, समस्तीपुर, दरभंगा से दूध पहुंचता है। रोजाना 500 लीटर से अधिक दूध का पेड़ा खगड़िया में बनता है. शुगर के मरीज इस पेड़े से वंचित ना रह जाए इस बात का ध्यान रखते हुए शुगर फ्री पेड़े भी बनाए जाते हैं। आप कभी भी अगर करुवामोड़ तो एक बार इस पेड़े को जरूरत है खाएं ।
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