बिहार में आरक्षण का फायदा सबसे अधिक इन जातियों को, सरकारी नौकरी पर पूरा कब्जा : Bihar


Bihar News : यदि आप बिहार के रहने वाले है तो ये खबर आप सभी के लिए है जिसमे हम आप सभी को Bihar Cast Sarvey में Sarkari Naukri को लेकर हुये खुलासे के बारे में बतायेंगे। वहीं हम आप सभी को जानकारी प्रदान करें कि, Bihar में जाति आधारित आर्थिक सर्वे (Caste Based Economic Survey) में Sarkari Naukri को लेकर चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है जिसके बारे में आज हम आप सभी को जानकारी देंगे।

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और ऐसे में यदि आप ये जानने के लिए इक्छुक की, बिहार में कितने प्रतिशत लोग Sarkari Naukri करते है तो हम आप सभी को बता दें कि, सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा किए गए सर्वे में यह सामने आया कि, बिहार में कुल 1.57% लोगों के पास ही Sarkari Naukri मौजुद है। वहीं अगर संख्या के लिहाज से देखा जाए तो हमारे बिहार में कुल 20.49 लाख लोगों के पास सरकारी नौकरी उपलब्ध है।

यदि हम कास्ट बेस सरकारी नौकरी को देखे तो तो सबसे अधिक सरकारी नौकरी करने वाले वर्चस्व सवर्ण (Upper Caste) जातियों के लोग है। बता दें कि, Upper Caste के 6.41 लाख लोग सरकारी नौकरी करते हैं। जबकि पिछड़े वर्ग में 6.21 लाख लोग शामिल है, वहीं अति पिछड़ा वर्ग (OBC Category) के 4.61 लाख लोगों के पास सरकारी नौकरी है। वहीं हम सभी को यह भी जानकारी दें कि, बिहार में तकरीबन 12% दलित लोग सरकारी नौकरी करते है। सरकारी Caste Based Economic Survey के अनुसार 2.92 लाख दलित सरकारी नौकरी में शामिल हैं। वहीं आदिवासियों में यह संख्या 30 हजार तक है।

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ओबीसी आरक्षण का फायदा किसे?

हम सभी जानते है कि, बिहार में OBC जातियों की संख्या 30 है और Caste Survey के अनुसार इनकी आबादी 27% है। वहीं इनको अब तक 12% आरक्षण मिलता था, जो EBC के 18, SC के 16 के पश्चात तीसरे नंबर पर थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरे 6.21 हजार OBC जाति अब तक सरकारी नौकरी में शामिल हैं। जिसमें यादव प्रथम स्थान पर है कुल – 2.90 लाख और कुशवाहा दूसरे स्थान पर कुल – 1.21 लाख, कुर्मी – 1.17 लाख , बनिया – 59 हजार सूरजपुरी मुस्लिम – 15 हजार, भांट – 5100 और मलिक मुस्लिम – 1552 मौजुद हैं।

प्रतिशत के लिहाज से देखा जाए, तो OBC समुदाय में सबसे अधिक सरकारी नौकरी करने वाले कुल 45% की हिस्सेदारी यादवों के पास है। और तकरीबन 20-20 प्रतिशत कुर्मी और कोइरी शामिल हैं। साथ ही बनिया की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत ही है। वहीं सबसे चौका देंने वाली बात ये है कि, OBC समुदाय के पास कुल सरकारी नौकरी में इन 4 जातियों के पास पूरे 90 प्रतिशत नौकरी हासिल है। तथापि, सरकारी नौकरी में साझेदारी को लेकर इन जातियों का अपना-अपना तर्क शामिल है।

वहीं हम बात करें यादवों की तो बिहार में इनकी की आबादी कुल 14 प्रतिशत ही है, जिनमें से कुल 35% लोग गरीब श्रेणी में हैं। और मौजूदा समय मे सरकारी नौकरी में यादवों की साझेदारी 2% से भी कम है। हम आप सभी को यह जानकारी दें कि, यादव समुदाय के लोगों का यह मानना है कि 15 प्रतिशत सवर्ण में से 25% ही गरीब में आते हैं, जिन्हें फॉर्मूले के हिसाब से 4% आरक्षण प्राप्त होनी चाहिए थी, परंतु उन्हें सिर्फ 10% आरक्षण दिया जा रहा है।

बता दें कि Caste Survey में यादव समुदाय के 14% में से 35% लोग गरीब श्रेणी में आते हैं, परंतु इस समुदाय के मात्र 2 प्रतिशत लोगों को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। वहीं हम आप सभी बताना चाहते है कि, हमारे बिहार में यादवों के तरफ से EWS कोटे की तरह अलग से 10% आरक्षण देने की मांग की गई है।आप सभी बता दें कि, बिहार सरकार (Bihar Government) के अनुसार यादव जाति के तकरीबन 10% लोगों के पास झोपड़ी का मकान है। वहीं इसमे 7% कोइरी भी समलित हैं।

अगर हम आपसे कुर्मी और कोइरी की बात करें तो मौजूदा समय में इन दोनों जातियों की आबादी 7% ही है। दोनों जातियों में तकरीबन 2.50 लाख लोग सरकारी नौकरी करते है। इन दोनों समुदाय में गरीबी 30 प्रतिशत है। इस आंकलन के मुताबिक, दोनों जातियों के सरकारी नौकरी में मात्र 2.1 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए था, परंतु दोनों समुदाय के कुल आबादी का 5% से अधिक लोग आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।

अब आरक्षण के 3 फैक्ट्स…

अब हम सभी आरक्षण के 3 बड़े फैक्ट्स को जानते है जिससे हमें ये मालूम होगा कि, कितने प्रतिशत किन-किन जातियों को आरक्षण प्राप्त हो रहे है।

  • बता दें कि, OBC Category को 12 प्रतिशत आरक्षण मिला है, परंतु इनकी सरकारी नौकरी में साझेदारी पूरे 30% के आसपास है. मतलब 18% नौकरी इन जातियों ने अनारक्षित कैटेगरी से प्राप्त किया है।
  • वहीं यदि हम सवर्ण (Upper Cast) की बात करे तो बिहार में इनको 10% आरक्षण की भागीदारी है, परन्तु सरकारी नौकरी में तकरीबन 30% सवर्ण शामिल है। सवर्ण जातियों के 20 प्रतिशत लोगों को अनारक्षित कोटे से नौकरी प्राप्त है
  • वहीं EBC को बिहार में पूरे 18 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है, लेकिन मौजूदा समय में सरकारी नौकरी में इन जातियों की भागीदारी 22 प्रतिशत के आसपास है।

सरकार ने आरक्षण का नया रोस्टर तैयार किया

बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश सरकार ने आरक्षण का नया रोस्टर पेश किया है। बता दें कि, इस रोस्टर को बिहार कैबिनेट ने मंजूर प्रदान कर दी है। बिहार में कुल 19.7 प्रतिशत दलित को 20% आरक्षण देने का प्रावधान मिला है। और पूर्व बिहार में दलितों के लिए 16% आरक्षण का प्रावधान थे।

वहीं हम आप सभी को जानकारी प्रदान करें कि, आदिवासियों के आरक्षण में भी बढ़ोतरी की बात बताई गई है। क्योंकि बिहार में अब से आदिवासियों को 2 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। वहीं मौजूदा समय मे आदिवासियों की संख्या 1.7 है। सरकार ने EBC आरक्षण बढ़ाने का भी बड़ा फैसला लिया है।

बता दें की, Bihar Government के मुताबिक अत्यंत पिछड़ा वर्ग/EBC को अब 36 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। वहीं बिहार में पूर्व यह 18 प्रतिशत था। और साथ ही राज्य में इस वर्ग की आबादी 36% है। वहीं पिछड़े वर्ग को अब 27 प्रतिशत आरक्षण देने की बात बताई गई है। तथा यह पूर्व 12 प्रतिशत था।

वहीं इस सर्वे के दौरान सरकार ने यह बात साफ कर दी है कि, समान्य वर्ग (General Category) को मिलने वाला 10 प्रतिशत आरक्षण को खत्म नहीं करने का निर्णय लिया है। मौजूदा समय मे कुल मिलाकर बिहार में 75 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था लागू करने की तैयारी की जा रही है।

शिक्षा में क्षेत्र में भी पिछड़ा ओबीसी और ईबीसी

जातिगत सर्वे की रिपोर्ट की माने तो, शिक्षा के मोर्चे पर भी पिछड़े और अति पिछड़े समुदाय (EBC and OBC) पिछड़ गए हैं। बता दें कि, सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल 13.41 प्रतिशत सवर्ण जातियों के लोग ग्रेजुएट्स हैं। यही OBC में सिर्फ 6.77 प्रतिशत और EBC में 4.27 प्रतिशत लोग ही हैं। बता दें कि हमारे बिहार में 3.05% दलित ग्रैजुएट कर चुके हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार सवर्ण जातियों के 11.44% लोग मजदूरी करने को मजबूर हैं। तो वहीं अन्य जातियों वहीं यह OBC में 13.74%, EBC की 18.62%, SC की 21.3% और ST की 18.51% हैं।

नया रोस्टर में 2 पेंच, जिसे सुलझाना आसान नहीं

मुसलमान अलग से आरक्षण मांग रहे- बता दें कि राज्य में मुसलमानों के लिए अलग से आरक्षण की डिमांड की जा रही है। क्योंकि मुस्लिम समाज का बताना है कि बिहार में पिछड़े वर्ग (OBC) में इनकी आबादी सिर्फ 10% ही है, परंतु Sarkari Naukri में उतनी साझेदारी नहीं है।

पसमांदा नेता अलग से मुसलमानों भाइयों के लिए आरक्षण देने की डिमांड कर रहे हैं। इन नेताओं का बताना है कि हिंदू OBC के आंकलन से आरक्षण व्यवस्था में मुसलमानों को लाभ नहीं दिया जाता है। बता दें कि, मौजूदा समय मे मात्र 2% ही मुसलमान सरकारी नौकरी में शामिल है।

दलित और आदिवासियों का प्रमाणिक आंकड़ा नहीं-

दलित और आदिवासियों के आरक्षण में जनजाति सर्वे रिपोर्ट आने के पश्चात ही संशोधन किया जा सकता है। राज्य में सरकार ने जातीय सर्वे कराया है। वहीं जनगणना का अधिकार केंद्र के पास होता है। और ऐसे में दलितों के आरक्षण को लेकर संशोधन सरकार के विरुद्ध जा सकता है। वहीं, पूर्व CM जीतन राम मांझी ने मांग की है कि मुसहरों समाज के लिए अलग से आरक्षण व्यवस्था लाई जाये।

पूर्व CM मांझी का बोलना है कि, राज्य में 5% मुसहर ही शामिल हैं और इन्हें इतना ही आरक्षण दिया जाए। मांझी मुसहरों के जाति बताते वक्त उनके उपजातियों का भी खास जिक्र करते हैं। जारी जातिगत जनगणना सर्वे के आंकड़ों मुताबिक, दलित समाज में सबसे कम मुसहरों के पास ही Sarkari Naukri है। बता दें कि, मुसहर समाज के सिर्फ 0.26 प्रतिशत लोगों ही सरकारी नौकरी करते है।

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सारांश

आज के इस लेख में आप सभी को जारी जातिगत जनगणना सर्वे के आंकड़ों में हुये खुलासे के बारे मे बताई गई है। जिसके मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से यह सामने आया कि, बिहार में कुल 1.57% लोगों के पास ही Sarkari Naukri है। अतः हमें उम्मीद है कि, आपको हमारा आज का यह आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा, हमें उम्मीद है कि आप इस महत्वपूर्ण खबर को अपने दोस्तों के बीच जरूर शेयर करेंगे।



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