BRABU Floor Cleaner Tooth Powder and Mouth Wash Launch : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय प्रशासन अगले महीने यानी जनवरी 2025 में अपने तीन उत्पाद- हर्बल फ्लोर क्लीनर, हर्बल टूथ पाउडर और हर्बल माउथ वॉश लांच करेगा।
जाने इस पोस्ट में क्या क्या है
आपके जानकारी के लिए बताते चलें की बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय केमेस्ट्री विभाग के इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेल ने इन तीनों उत्पादों को तैयार किया है। इसमें हर्बल फ्लोर क्लीनर, हर्बल टूथ पाउडर और हर्बल माउथ वॉश शामिल हैं।
सूबे में पहली बार किसी यूनिवर्सिटी का आएगा उत्पाद
बताते चलें की बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय में तैयार ये तीनों उत्पाद बाजार में लांच हुए तो यह सूबे में पहला यूनिवर्सिटी होगा जिसका कोई प्रोडक्ट मार्केट में उतारा जाएगा।
बीआरएबीयू कुलपति प्रो दिनेश चंद्र राय ने पिछले दिनों इंक्यूबेशन सेल का गठन किया था। इसके बाद बिहार यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. अपराजिता कृष्णा ने इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेल के कामकाज की रूपरेखा तय की। सबसे पहले फिनाइल बनाने का प्रस्ताव पास हुआ था।
बीआरएबीयू प्रशासन ने बाजार में उतारने से पहले FSSAI को भेजा पत्र
बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इन तीन उत्पादों को बाजार में उतारने से पहले भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी FSSAI से परमिशन लिया जाएगा। इसके लिए संस्थान को ऑफिशियल लेटर भेजा जा रहा है।
कम कीमत पर लोगों को मिलेगा ये तीनों उत्पाद
इंक्यूबेशन सेल से जुड़े व केमेस्ट्री के सहायक प्राध्यापक प्रो. अभय नंदा श्रीवास्तव ने बताया कि बीआरएबीयू में तैयार ये तीन हर्बल उत्पाद कम कीमत पर लोगों को मिलेगा वहीं इसकी एक्सपायरी डेड बहुत कम होगी।
उन्होंने बताया की इसका साइड इफेक्ट नहीं होगा। इन उत्पादों को तैयार करने के दौरान नीम और तुलसी जैसे तत्वों का उपयोग किया गया है। वहीं टूथ पाउडर में मीठी तुलसी का इस्तेमाल किया गया है।
बीआरएबीयू प्रशासन फंड देने के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग से करेगा अनुरोध
बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी प्रशासन प्रशासन तीन उत्पादों- हर्बल फ्लोर क्लीनर, हर्बल टूथ पाउडर और हर्बल माउथ वॉश को तैयार करने के अलावा इंक्यूबेशन सेंटर चलाने के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग से भी मदद लेगा।
बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी, प्रशासन इसके अलावा कई और उत्पाद मखाना और एलईडी बल्ब बनाने पर विचार कर रहा है। इसके लिए पैसे की जरूरत है। इसलिए बीआरएबीयू प्रशासन विज्ञान-प्रौद्योगिकी पर्षद से भी फंड देने के लिए अनुरोध करेगा।