Property Rights : आज का हमारा यह लेख आप सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है। क्योंकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने Property Rights पर अपना अहम फैसला सुनाया है। जिसके बारे में आज हम आप सभी को अपने इस लेख के माध्यम से जानकारी प्रदान करेंगे। जिससे जानने के लिए आप सभी को हमारे साथ लेख में अंत तक बने रहना होगा।
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हम सभी ये जानते है कि, बेटे और बेटी को पिता की संपत्ति पर समान अधिकार होता है, जो कि विरासत में मिली संपत्ति का है। परंतु वहीं बेटे और बेटी को अपने पिता की स्वतंत्र रूप से अर्जित संपत्ति पर अधिकार नहीं होता है। ऐसे में पिता द्वारा अर्जित संपत्ति को वे स्वतंत्र रूप से किसी को भी हस्तांतरित कर सकते है या किसी को उपहारस्वरूप दे सकते है। पर बेटे और बेटी को मां की संपत्ति पर क्या अधिकार है तथा क्या वे अपने अधिकार का दावा कर सकते हैं। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया है जिसको हम इस लेख में जानेंगे विस्तार से…
Property Rights को समर्पित हम अपने इस लेख में आप सभी को बता दें कि, दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के सम्पत्ति के अधिकारों को लेकर एक अहम फैसला लिया गया है। जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि, पति की मृत्यु के पश्चात पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति पर पुर्वरूप से पत्नी का अधिकार है और वह अपने मुताबिक इसका उपयोग कर सकती है। वहीं कोर्ट ने यह भी साफ किया कि उनकी बेटी और दामाद को इस संपत्ति पर दावा करने का कोई अधिकार नही दी जाती है।
हम आप सभी को साफ-साफ बताएं तो, हाई कोर्ट के पास एक मामला आया था जो कि, उत्तर-पश्चिम दिल्ली के शास्त्री नगर में रहने वाली 85 वर्षीय महिला की थी जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट ने महिला पक्ष की ओर फैसला सुनाया। मामला में महिला की बेटी और दामाद ने अपने घर का कुछ हिस्सा खाली करने से साफ इनकार कर दिया, जिसके पश्चात उन्होंने इस संपत्ति पर बुजुर्ग महिला के अधिकार को अदालत में चुनौती दी।
बता दें कि, 85 वर्षिय महिला का नाम लाजवंती देवी है जिन्होंने अपने संपत्ति का वह हिस्सा वापस मांगा जो 1985 में निजी इस्तेमाल के लिए अपने बेटी और दामाद को हस्तांतरित कर दिया गया था। परंतु बेटी और उनके दामाद ने उसे खाली करने से साफ इनकार कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने महिला को घर का मालिक मानते हुए बताया महिला के पति ने 1966 वर्ष पूर्व अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदी थी ताकि वह अपनी मृत्यु के पश्चात पत्नी सुरक्षित जीवन जी सके।
हम आप सभी को यह बता दें कि, जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा तो, सुप्रीम कोर्ट ने बेटी और दामाद को घर खाली करने को कहा। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बेटी और दामाद को इजाजत मिलने के बाद ही घर में रहने का अधिकार होता है और उन्हें महिला के अधिकारों का उल्लंघन करने की अधिकार नहीं दी जानी चाहिए। अदालत ने इस मामले पर कहा कि, दंपति को छह माह के अंदर घर खाली करने और महिला को नुकसान की भरपाई करने का आदेश देकर, हिंदू विधवा लाजवंती देवी उस संपत्ति की हकदार रहेंगी, जो उनके पति ने उनके नाम पर अर्जित की थी।
अदालत ने दंपति से बोला कि, 2014 में अदालत में मुकदमा शुरू होने के पश्चात से अब बुजुर्ग महिला को 10,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करना, साथ ही फैसला आने और संपत्ति उसे सौंपे जाने तक 10,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करना है।
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सारांश
आज के इस लेख में आप सभी को Property Rights के बारे में बताई गई है। जिसमें 85 वर्षीय महिला के पक्ष में कुछ अहम फैसला सुनाया है। जिसके तहत बेटे और बेटी को माँ की संपत्ति में हिस्सा नही मिलेगा। अतः हमे उम्मीद हैं की आपको हमारा आज का यह लेख “Property Rights ” बेहद पसंद आया होगा। हमे उम्मीद हैं कि इस लेख को आप अपने सभी दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे।