Uniform Civil Code Bill passed in Uttarakhand : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने नागरिक संहिता विधेयक (UCC) को विधानसभा सत्र में पारित कर दिया हैं. मंगलवार को सदन के पटल में UCC Bill पेश किया गया था.
बीते दो दिन के लंबी चर्चाओं के बाद पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने बुधवार को UCC Bill बहुमत के साथ पारित कर दिया हैं. BJP और Congress विधायकों के बीच सदन में हुए चर्चा के दरमियान जमकर वार पर पलटवार भी हुआ.
________________________
Latest Govt. Job की जानकारी चाहिए तो बिना देरी किये Whatsapp Group जॉइन करें
बता दें कि विधानसभा सत्र के तीसरे दिन की कार्रवाई शुरू होने के दरमियान Congress MLAs ने जमकर सरकार पर हल्ला बोला. UCC Bill पर संशोधन व अन्य सिफारिशों की मांग करते हुए विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग किया गया.
जानकारी के लिए बताते चले कि मंगलवार को विधेयक पेश करते समय सदन वंदे मातरम और साथ ही जय श्री राम के नारों से पूरा सदन गूंज उठा था. सदन के स्पीकर ऋतु खंडूड़ी की मंजूरी के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने विधेयक प्रस्तुत किया, इससे उत्साहित BJP MLAs ने कई बार फिर से वंदे मातरम् और जय श्री राम का नारा लगाने शुरू कर दिया.
यह भी पढ़े : Land Freeze In Bihar
राष्ट्रपति की मंजूरी को जाएगा बिल
बताते चले कि उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने यह बताया कि UCC Bill Uttarakhand Assembly में पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा.
उन्होंने यह भी कहा कि सदन में पारित होने के बाद UCC Bill पहले राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और तदुपरांत राज्यपाल के द्वारा इस बिल की मंजूरी के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश करेंगे. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह बिल उत्तराखंड में लागू हो जाएगा.
समान नागरिक संहिता के खास बिंदू
शादी की उम्र – सभी धर्मों की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित | |
विवाह पंजीकरण – शादी के छह माह के भीतर अनिवार्य तौर पर कराना होगा विवाह पंजीकरण | |
तलाक – पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर अब पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी | |
बहु विवाह – पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी यानि बहु विवाह पर सख्ती से रोक रहेगी | |
उत्तराधिकार – उत्तराधिकार में लड़के और लड़कियों को बराबर अधिकार मिलेगा | |
लिव इन रिलेशनशिप – लिव इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, विवाहित पुरुष या महिला नहीं रह पाएंगे लिव इन में | |
अधिकार क्षेत्र – राज्य का स्थायी निवासी, राज्य या केंद्र सरकार के स्थायी कर्मचारी, राज्य में लागू सरकारी योजना के लाभार्थी पर लागू होगा | |
हमारी सरकार ने पूरी जिम्मेदारी के साथ समाज के सभी वर्गों को साथ लेते हुए समान नागरिक संहिता का विधेयक विधानसभा में पेश कर दिया है। देवभूमि के लिए वह ऐतिहासिक क्षण निकट है जब उत्तराखंड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन एक भारत, श्रेष्ठ भारत का मजबूत आधार स्तम्भ बनेगा.
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
यूसीसी विधेयक का सदन में पेश होना ऐतिहासिक घटना है। उत्तराखंड ऐसा पहला प्रदेश बनने जा रहा है जो यूसीसी को लागू करेगा। यह समूचे प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है। यूसीसी में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इससे समाज में शोषित और कमजोर महिलाओं को हक मिलेगा। उन्हें शादी, संपत्ति और उत्तराधिकार के अधिकार मिलने जा रहे हैं।
ऋतु खंडूड़ी, विधानसभा अध्यक्ष
समान नागरिक संहिता विधेयक की विशेषताएं
शादी की उम्र :- सभी धर्मों की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित की गई है. अभी कुछ धर्मों में इससे कम उम्र में लड़कियों की शादी हो जाती है. | |
विवाह पंजीकरण :- शादी के छह माह के भीतर अनिवार्य तौर पर सब रजिस्ट्रार के पास विवाह पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण नहीं कराने पर 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. | |
तलाक :- समान नागरिक संहिता में पति-पत्नी के लिए तलाक के कारण और आधार एक समान कर दिए गए हैं। अभी पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर अब पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी. | |
बहु विवाह :- पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी यानि बहु विवाह पर सख्ती से रोक रहेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुविवाह करने की छूट है लेकिन अन्य धर्मों में एक पति-एक पत्नी का नियम बहुत कड़ाई से लागू है | |
वसीयत :- कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से पूर्व मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे, जो अब सभी के लिए समान होंगे. | |
उत्तराधिकार :- उत्तराधिकार में लड़कियों और लड़कों को बराबर अधिकार प्रदान किया गया है. संहिता में सम्पत्ति को सम्पदा के रूप में परिभाषित करते हुए इसमें सभी तरह की चल-अचल, पैतृक सम्पत्ति को शामिल किया गया है. | |
लिव इन रिलेशनशिप :- लिव इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, विवाहित पुरुष या महिला लिव इन में नहीं रह पाएंगे. इसके लिए जोड़ों को लिव इन में रहने की स्वघोषणा करनी पड़ेगी। लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को सम्पूर्ण अधिकार दिए गए हैं. | |
अधिकार क्षेत्र :- राज्य का स्थायी निवासी, राज्य या केंद्र सरकार के स्थायी कर्मचारी, राज्य में संचालित सरकारी योजना के लाभार्थी पर लागू होगा. राज्य में न्यूनतम एक साल तक रहने वाले लोगों पर भी यह कानून लागू होगा. |
यह भी पढ़े : Nsp Scholarship Acadmic Year 2024 Registration Start