ये 7 इंडियन फूड्स विदेश में बैन, कैंसर जैसी बीमारी की….. : Health


Worst Indian Foods: भारतीय खाने पूरी दुनिया में मशहूर है और शुरू से ही पूरी दुनिया इसकी दीवानी रही है क्योंकि भारत में तरह-तरह के व्यंजन बनाएं और खा जाते हैं. सटीक रूप से कहें तो लगभग 31 व्यंजन भारतीय व्यंजनों को परिभाषित करते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्होंने 2,000 से अधिक भारतीय व्यंजनों को एक सूत्र में पिरोया है. खाना पकाने की सबसे विविध शैली होने के कारण, भारतीय व्यंजन दुनिया भर में लोकप्रिय हो गए हैं और लगभग हर जगह लोगों द्वारा इसे पसंद किया जाता है. पर क्या आप जानते हैं? ऐसे कई फूड्स हैं,

________________________
Latest Govt. Job की जानकारी चाहिए तो बिना देरी किये Whatsapp Group जॉइन करें

जो भारत में स्वाद लेकर खाए जाते हैं बच्चों से लेकर बड़े भी अक्सर इन खाद्य पदार्थों को चखते हुए दिख जाते हैं। मगर दूसरे देशों में यह बैन हैं. इसके कई कारण और मान्यताएं हो सकती हैं, जिसमें सेहत को पहुंचने वाले नुकसान भी शामिल हैं. ये फूड्स चाहें भारत में कहीं से भी आए हों, मगर अब यह भारत के अटूट हिस्सा मान चुके है. समय-समय पर भारतीयों की पसंद के अनुसार इन फूड्स के स्वाद और इंग्रीडिएंट्स में बदलाव किया गया है और पूरा भारतीय रूप मिल चुका है. आज की अपने इस लेख के माध्यम से आप सभी को दूसरे देशों में बैन इन भारतीय फूड्स के बारे में बताएंगे.

Worst Indian Foods: समोसा

हम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, समोसा भारत में एक लोकप्रिय स्नैक है, लेकिन इसकी उत्पत्ति को लेकर अभी भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. लेकिन अधिकांश इतिहासकारों का मानना है कि समोसा ईरान या मध्य पूर्वी व्यापारियों द्वारा भारत लाया गया था. ऐसी ही एक डिश ईरान में पाई जाती थी। फारसी में इसका नाम ‘संबुश्क’ (sambusak) था, जो भारत आते-आते समोसा हो गया।

यह भी पढ़ें: Satellite Internet In India

समोसा एक डीप फ्राइड फूड है, जिसे खाने से शरीर में भरकर तेल पहुंचता है. इन तेलों में सैचुरेटेड फैट्स पाएं जाते हैं और NHS के मुताबिक ऐसे फैट्स से लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन बढ़ता है, जो दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है. हम आपको बता दें कि, समोसा पर सोमालिया ने 2011 से प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि उनका कहना है कि नाश्ते का त्रिकोणीय आकार ‘अल-शबाब समूह’ को ईसाई धर्म का प्रतीक लगता है.

देसी घी

हम आप सभी को बता दे कि, भारत में देसी घी को खूब पसंद किया जाता है और सेहत के नजरिए से इसे अच्छा भी माना जाता है. पर पश्चिमी देशों को यह कई मायनों में अनहेल्दी लगता है. डाक्टर का मानना है कि इसका अत्यधिक सेवन मोटापा और नसों की ब्लॉकेज से जुड़ा होता है. इसमें भी अनहेल्दी फैट्स मौजूद होते हैं. इसके बावजूद भी भारत में देसी घी को खाने में स्वाद और सेहत के नजरिए से अच्छा माना जाता है. लेकिन साल 2005 में इसे कनाडा में बैन कर दिया गया था.

च्यवनप्राश

हम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, च्यवनप्राश भारत के सर्वाधिक प्राचीन आयुर्वेदिक स्वास्थ्य पूरकों में से एक एवं सर्वाधिक बिकने वाला आयुर्वेदिक उत्पाद है. सर्दियों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए च्यवनप्राश खाया जाता है. पर शोध पाया गया है कि च्यवनप्राश के अंदर लेड, मरक्यूरी जैसे हानिकारक तत्व होते हैं, जिनकी अधिक मात्रा शरीर में कैंसर की जड़ बन सकती है. कनाडा में साल 2005 में च्यवनप्राश पर यह कहकर बैन लगाया गया था कि इसमें सबसे ज्यादा लीड और मर्करी पाई जाती है.

Worst Indian Foods: कबाब

कबाब एक भारतीय व्यंजन है. यह प्रायः मांसाहारी होता है जैसे गलौटी कबाब, किंतु कुछ लोग शाकाहारी भी बनाते हैं. कबाब को हैदराबाद, भारतीय और पाकिस्तानी पंजाब, कश्मीर, उत्तर प्रदेश और पाकिस्तान के सिंध प्रांत मे मेहमाननवाज़ी का बेहतरीन तरीका माना जाता है.

चिकन और मटन कबाब आपकी पहली पसंद हो सकती है, पर क्या आप जानते हैं? अधिकांश अंग्रेजी भाषी देशों में, कबाब बैन है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इनके अंदर Heterocyclic Amines नाम के कंपाउंड हो सकते हैं, जो शोध के अंदर पैंक्रियाज, कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े पाए गए हैं.

खसखस के बीज

स्पहम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, श्चिमी देशों में फूड एलर्जी का काफी खतरा होता है, जिसके कारण से मरीज की जान भी जा सकती है। खसखस का सेवन एक्जिमा, पित्ती, जकड़न, चक्कर आना और पेट खराब जैसी समस्या पैदा कर सकता है. इसे भारत में विशेषकर बंगाल में विदेशी मसालों में से एक माना जाता है.

लेकिन बीज में मॉर्फीन की मात्रा के कारण सिंगापुर और ताइवान में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कथित तौर पर, इसे सिंगापुर में सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा ‘निषिद्ध सामान’ माना जाता है सऊदी अरब और यूएई में भी इस पर प्रतिबंध है. इन साइड इफेक्ट्स की वजह से खसखस खाने से पहले डॉक्टर की राय लेनी चाहिए.



Source link