गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान? जाने वरदान और इतिहास


Pind Daan In Gaya : हमेसा से ही हिंदू धर्म मे श्राद्ध पक्ष के दौरान चलने वाले समय को काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इस दौरान होने वाले सभी कार्य हमारे पितरों को समर्पित रहता है। यह मान्यता है कि इस दौरान अगर कोई गया में पिंडदान करते है, तो उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति मिलती है। आपके मन मे कभी न कभी यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर गया में पिंडदान क्यो किया जाता है? ( Pind Daan Gaya me Hi kyo kiya jata hai ) आज के इस लेख में हम आपको इससे जुड़े हुए प्राचीन परंपराओं के साथ-साथ पौराणिक कथा के बारे में भी बताएंगे जिससे आप इसके महत्व को और अच्छे से समझ जाएंगे।

गया में पिंडदान का महत्व क्यों है? Pind Daan Gaya me kyo kiya jata hai

भारत ऋषि मुनियों के आदर्शों पर चलने वाला देश रहा है, यहां पर अनेक ग्रंथ हैं उन ग्रंथो में कई पौराणिक कथा हैं उन्ही कथाओं के मुताबिक, “गयासुर नामक एक राक्षस ने कठिन तपस्या करके ब्रह्मा जी से यह वरदान मांग लिया था कि उनको देखने मात्र से ही पवित्र हो जाते थे और उनको स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती थी। गयासुर की इस शक्ति की वजह से पृथ्वी की संतुलन बिगड़ने लगी, जिसके कारण देवता काफी चिंतित हो गए। तब सभी देवी देवतायें भगवान विष्णु से सहायता मांगी। गयासुर से भगवान विष्णु ने यज्ञ के लिए अपना शरीर समर्पित करने का आग्रह किया, जिसको गयासुर ने स्वीकार कर लिया था।

Pind daan in gaya
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यज्ञ संपन्न हो जाने के बाद भगवान विष्णु ने गयासुर को मोक्ष का वरदान दिया और साथ ही यह भी कहा कि जिस स्थान पर उसका शरीर फैलेगा, वह स्थान हमेशा पवित्र माना जायेगा। किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने पितरों का पिंडदान करने पर उनके पूर्वज जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करेंगे। ऐसी मान्यता है कि तभी से इस स्थान का नाम “गया” पड़ गया था।

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भगवान राम भी किये थे पिंडदान

पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, त्रेता युग के समय प्रभु श्री राम जी भी अपने भगवान तुल्य पिता दशरथ जी का पिंडदान फल्गु नदी के किनारे गया में ही किये थे। इस घटना के उपरांत से गया पिंडदान के लिए काफी पवित्र स्थान माने जाने लगा, जहां पर लोग अपने पितरों के आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए यहां अनुष्ठान करते हैं।

इस वजह से गया में पिंडदान का महत्व पौराणिक समय से ही बना हुआ हैं, और श्रद्धालु यहां पर आकर अपने देव तुल्य पितरों के लिए यह धार्मिक कार्य करते हैं ताकि उनके पितरों को मोक्ष प्राप्ति हो सकें।



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