सनातन का वैभव, शौर्य देखना है तो आइए ‘प्रयाग! कैसे पहुंचे 144 साल बाद लगने वाले इस महाकुंभ में


Plan to Trip Mahakumbh Prayagraj 2025 : सनातन क्या है? आत्मा क्या है? इसके शौर्य और संस्कार क्या है? यदि आपके मन मे भी इन सवालों का जवाब को जानने और जवाब को असल मे समझने की इच्छा होती हैं तो आपको किसी गुरु कृपा की आवश्यकता नहीं है और न ही आपको किसी किताब को पढ़कर आकलन करने की जरूरत है। बस, आपको जरूरत है तो कीमती समय मे से थोड़ा समय निकालिए और आ जाइए तीर्थराज प्रयाग। यहां पहुंचकर किसी भी स्थान पर खड़े होकर जब आप इस महाकुंभ के अद्भुत दृश्यों को देखेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि यही दृश्य समग्र रूप में भारत की असल पहचान है।

सनातन के विभिन्न महत्वपूर्ण ग्रंथों के मुताबिक मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी घाटों पर तंबुओं की नगरी में सनातनी के वैभव, संस्कार और शौर्य का रंग बदलते दिन के साथ और चटख हो रहा है। यहां आने वाली हर धड़कन, हर रंग, हर स्वर, सभी मिलकर अखंड भारत का चित्रण कर रही हैं। प्रयागराज में संगम की रेती पर 45 दिनों के लिए एक अलौकिक संसार अपना आकार ले चुका हैं।

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Prayagraj Maha Kumbh 2025

महाकुंभ-2025 का आयोजन दुनिया की सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मेला बनने को तैयार है। संतों और श्रद्धालुओं की भक्ति से भाव विभोर होकर आस्था से गंगा तट पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, मानो जैसे यह पवित्र उद्गम स्थल एक नई ऊर्जा के संचार जागृत हो गया हो।

संगम का तट पर मौजूद अखाड़े, विविध स्वरूपों की शिविर, भक्ति में विलीन विदेशी, कथाएं-प्रवचन यह सब मिलकर एक ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा रच देते हैं जिसे देख हर कोई आस्था के इस महाकुंभ में मोक्ष के तरफ समर्पित होने को तैयार बैठा हो।

13 अखाड़ों का अद्भुत संसार : Maha Kumbh 2025

प्रयागराज पहुंचने के उपरांत श्रद्धालुओं की पहली प्राथमिकता संगम तट पर डुबकी लगानी रहती है। इसके उपरांत ही वे किसी अन्य दर्शनीय स्थलों के तरफ जाते हैं। जंगलों और हिमालय की कंदराओं धूनी रमाने वाले नागा संत भी प्रयागराज पहुंच चुके हैं। ये बाबाओं और संतों के अखाड़ों की दुनिया भी श्रद्धालुओं के लिए उत्सुकता और उन्हें रोमांचित करने का केंद्र रहता है। बताते चले कि अखाड़ा नगर में कुल मिलाकर 13 अखाड़े हैं, जिनके महामंडलेश्वर, श्रीमहंत से लेकर कोतवाल तक वहां पर मौजूद रहते हैं।

11 कारिडोर वाला एकमात्र शहर : Maha Kumbh 2025

प्रयागराज में 11 कारिडोर बनाई गई है। संगम के पास किला स्थित अक्षयवट कारिडोर की पौराणिक और धार्मिक मान्यतायें है। मान्यताएं हैं कि भगवान शिव और माता पार्वती ने इस पौधे को अपने हाथों से लगाया था। अक्षयवट के साथ ही यहां पर महाकुंभ में सरस्वती कूप कारिडोर भी बनाया गया है। सरस्वती कूप के नजदीक लगाई गई वीणावादिनी की प्रतिमा भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। संगम के किनारे हनुमान मंदिर कारिडोर से महाकुंभ की दिव्यता व भव्यता और भी ज्यादा बढ़ गई है। करीब करीब 11,589 वर्ग मीटर के कारिडोर में 535 स्क्वायर मीटर में काशी विश्वनाथ कारिडोर के तर्ज पर बड़े हनुमान मंदिर का भव्य गर्भगृह और परिक्रमा पथ भी बना है।

कैसे पहुंचे प्रयागराज : Maha Kumbh 2025 Kaise Jaye

देश के कोने- कोने को महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के लिए रेल, हवाई मार्ग व सड़क मार्ग को जोड़ दिया गया है। देश के 27 प्रमुख शहरों से प्रयागराज के लिए डाइरेक्ट हवाई मार्ग 10 जनवरी से उपलब्ध करवाया जा चुका हैं। वहीं पर, रेलवे भी अपने पूरे रेल नेटवर्क से 13 हजार ट्रेनों का संचालन महाकुंभ के लिए करेगा। प्रयागराज में ठहरने के लिए टेंट सिटी के अलावें वीआईपी स्तर के 18 होटल, 204 गेस्ट हाउस व धर्मशालाएं मौजूद हैं। वहीं पर पेइंग गेस्ट, धर्मशाला में बहुत ही कम किराये पर ठहरने की व्यवस्था की गई है।



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