Maa Kalratri: हम आप सभी को बता दे कि, माता रानी के भक्तों का पावन पर्व शरद नवरात्रि का चल रहा है नवरात्रि के नव दिनों में माता रानी के नव रुपों को पूरा जाता है. और नवरात्रि की सप्तमी तिथि को माता कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा होती है किया जाता है। ऐसे लोग जो किसी कृत्या प्रहार से पीड़ित हैं एवं उन पर किसी अन्य तंत्र-मंत्र का प्रयोग हुआ हो, वे माता कालरात्रि (Maa Kalratri) की साधना कर कृत्याओं तथा शत्रुओं से निवृत्ति पा सकते हैं.
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दुर्गा का सप्तम रूप माता कालरात्रि (Maa Kalratri) को महायोगिनी, महायोगीश्वरी कहा गया है। यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है. सभी प्रकार के रोगों की नाशक, सर्वत्र विजय दिलाने वाली, मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है. आप सभी को बता दे कि, माता कालरात्रि (Maa Kalratri) की आराधना हर पीड़ित व्यक्ति को करनी चाहिए. इस दिन माता कालरात्रि (Maa Kalratri) को गुड़ का भोग लगाना चाहिए और उसे प्रसाद के रूप में खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है.
मां कालरात्रि की पूजन विधि- Maa Kalratri Puja vidhi
- माता कालरात्रि (Maa Kalratri) के पूजन के लिए नवरात्रि की सप्तमी तिथि को सुबह स्नानादि से निवृत्त हो जाएं.
- अब माता कालरात्रि (Maa Kalratri) को रोली, अक्षत, दीप, धूप अर्पित करें.
- आप सभी भक्तों को बता दे कि, मां कालरात्रि को रातरानी का फूल चढ़ाना चाहिए.
- माता कालरात्रि (Maa Kalratri) को गुड़ का भोग अर्पित करें.
- माता कालरात्रि (Maa Kalratri) की आरती करें.
- इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा तथा मंत्र जपें.
- इस दिन लाल कंबल के आसन तथा लाला चंदन की माला से माता कालरात्रि (Maa Kalratri) के मंत्रों का जाप करें।
- अगर लाला चंदन की माला उपलब्ध न हो तो रूद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।
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Maa Kalratri Mantra
- ‘ॐ कालरात्र्यै नम:।’
- उपासना मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥ - ॐ यदि चापि वरो देयस्त्वयास्माकं महेश्वरि।।
संस्मृता संस्मृता त्वं नो हिंसेथाः परमाऽऽपदः ॐ।
घृत, गुग्गल, जायफलादि की आहुति दें.
- ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।’
अगर आपके किसी कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही हो, शत्रु तथा विरोधी कार्य में अड़ंगे डाल रहे हों, उन्हें निम्न मंत्र का जप कर अपने को बाधाओं से मुक्ति दिलाएं.
- ॐ ऐं यश्चमर्त्य: स्तवैरेभि: त्वां स्तोष्यत्यमलानने
तस्य वित्तीर्द्धविभवै: धनदारादि समप्दाम् ऐं ॐ।
पंचमेवा, खीर, पुष्प, फल आदि की आहुति दें.
हम आप सभी माता रानी के भक्तों को बता दे कि, हमारे इस लेख के माध्यम से जितने भी मंत्र दिए गए हैं, वे सभी शास्त्रीय तथा कई श्री दुर्गासप्तशती से उद्घृत हैं.
- ‘ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।’
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
होम द्रव्य, सरसों, कालीमिर्च, दालचीनी इत्यादि।
जप का दशांश हवन, का दशांश तर्पण, का दशांश मार्जन, का दशांश ब्राह्मण भोजन तथा कन्या पूजन तथा भोजन कराने से मंत्र सिद्धि होती है.
माता कालरात्रि (Maa Kalratri) आरती : कालरात्रि जय जय महाकाली
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय।
माता कालरात्रि (Maa Kalratri) भोग-
हम आप सभी भक्तों को बता दे कि, नवरात्रि में देवी के सतवें स्वरूप माता कालरात्रि (Maa Kalratri) को गुड़ का भोग आती प्रिय है. नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि (Maa Kalratri) को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है.
सारांश
हम आज के इस लेख के माध्यम से आप सभी को माता कालरात्रि (Maa Kalratri) के पूजा विधि से जुड़ी संपूर्ण जानकारी दी है. ताकि आप सभी भक्तों को माता कालरात्रि पूजा विधि से सम्बंधित पूरी जानकारी पाकर इसका पूरा-पूरा लाभ प्राप्त कर सके. हम यह दावा बिल्कुल भी नहीं करते कि, हमारे द्वारा दि गई जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी हेतु संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.