Chhath Puja सबसे ज्यादा बिहारी ही क्यों मनाते हैं? क्या है इसका इतिहास : Religion


Why is Chhath festival celebrated in Bihar : ऐसे तो छठ का महाव्रत पूरे देश में बरे ही उलआश के साथ मनाया जाता है. पर छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाई जाती है. बिहार में मनाया जाता है और हिंदू धर्म में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. ऐसे में छठ पूजा वर्ष का एकमात्र समय है जब डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। कई स्थानों पर छठ पूजा को प्रतिहार डाला छठ छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. यह चार दिवसीय त्योहार सूर्य उपासना के लिए किया जाता है, ताकि पूरे परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे.

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छठ पूजा की उत्पत्ति 

हम आप सभी को बता दे कि, पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन हैं. षष्ठी देवी यानी छठ मैया संतान प्राप्ति की देवी हैं और शरीर के मालिक भगवान सूर्य हैं. माना जाता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना करते हुए खुद को दो भागों में विभाजित किया था. एक भाग पुरुष और दूसरा भाग प्रकृति के रूप में था.

सूर्य देव को जगत की आत्मा कहा जाता है. उनके प्रकाश से कई तरह के रोग नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है. सूर्य के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को आरोग्य, तेज और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है. छठ पूजा पर सूर्य देव और छठी माता के पूजन से व्यक्ति को संतान, सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

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छठ पूजा के पीछे का इतिहास 

हम आप सभी को बता दे कि, द्रौपदी ने अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर जीवन के लिए छठ का व्रत रखा था. जब पांडव सारा राजपाठ जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था. इस व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को सब कुछ वापस मिल गया. इस व्रत में द्रौपदी ने सूर्य पूजा और छठी मैईया की आराधना की.

छठ पर्व क्यो किया जाता हैं

हम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य उपासना के लिए किया जाता है, ताकि पूरे परिवार पर सूर्य देव का आशीर्वाद बना रहे. साथ ही यह व्रत संतान के सुखद भविष्य के लिए भी किया जाता है. मान्यता है कि जो निसंतान है वह अगर छठ पर्व करें तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इसके अलावा भी छठ में सूर्य देव की पूजा करने से ‘त्वचा रोग’ से मुक्ति मिलती है. इस पूजा से भगवान श्री कृष्ण के पुत्र कुष्ठ रोग से मुक्त हुए थे. छठ पूजा करने ‘पति की लंबी उम्र’ होती है. इसलिए महिलाएं इस व्रत को पति व संतान के लिए रखती हैं. और इस पर्व को काफी जोड़ सोर से मनाते हैं.

छठ पर्व क्या सतर्कता बरतनी चाहिए

छठ में महिलाएं संतान की दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाए खाय के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है. इस दिन से स्वच्छता की स्थिति अच्छी रखी जाती है. छठ के त्‍योहार में पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसी के साथ छठ पर्व का समापन हो जाता है.

बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इस व्रत के दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है. हम आप सभी को बता दे कि, छठ पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. छठ पूजा के समय प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले सभी चीजों की अच्छे से सफाई करनी चाहिए. इन अनाजों को घर पर ही धोकर, कूटकर और पीसकर बनाया जाता है. छठ का प्रसाद बनाते समय चूल्हे का खास ख्याल रखें.

छठ पर्व कैसे करें?

हम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, इस दिन चावल और लौकी की सब्जी बनाकर खाते हैं. इसके अगले दिन खरना होता है, खरना वाले दिन गुड़ और चावल की खीर बनती है. इस खीर को खाने के बाद 36 घंटे का उपवास शुरू होता है. तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

छठ की पूजा में क्या क्या सामग्री लगती है?

हम आप सभी को बता दे कि, छठ पूजा में कुछ चीजों की जरूरत होती है जो कि इस प्रकार से है –

पानी वाला नारियल, अक्षत, पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद का भी इंतजाम कर लें. इसके अलावा हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती की भी जरूरत पूजा के लिए पड़ती है.



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