पिता को कभी नहीं करनी चाहिए बेटी से ये 4 बातें…: Education


Parenting Tips For Father: बेटी और पिता का रिश्‍ता अपने आप में अहम होता है। एक अच्छा पिता-बेटी का रिश्ता उनकी लड़कियों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें आत्म-सम्मान के लिए एक अच्छी नींव प्रदान करता है। पिता बेटी (Daughter Father) के जीवन में बहुत मायने रखते हैं. अक्सर लोग कहते हैं किसी लड़की का पहला प्‍यार उसके पिता हैं और हर औरत अपने पति में अपने पिता को ही तलाशती है। पिता का व्‍यवहार कैसा है यह काफी हद तक बेटी (Beti) का मानसिक स्‍तर तय करता है.

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अगर आप अपनी बेटी को मैरी कॉम बनाना चाहते हैं, तो आपको उसके साथ वैसा ही व्‍यवहार करना होगा। और अगर आप अपनी बेटी को सहमी हुई गृहणी बनाना चाहते हैं, तो आपको अपना व्‍यवहार वैसा ही रखना होगा। तो आप भी अगर आपकी लाड़ली खुल कर जि‍ए, अपने जीवन को सही मार्ग पर लेकर जाए तो आपको कुछ बातों का ध्‍यान रखना होगा।

जिंदगी में कभी भी अपनी बेटी से न कहें ये 4 बातें

तुम पराई हो

अक्सर देखा गया है कि, एक पिता अपनी बेटी को कहते है कि तुम इस घर की नहीं हो, तुम तो पराई हो अगर आप भी अपनी बेटी से बचपन से ही ऐसी बातें करते हैं, तो यह आपकी बेटी को अंदर से अकेला कर सकता है। और पूरे पर‍िवार में उसे अलग महसूस होगा. एक पिता को अपनी बेटी को समझना चाहिए कि वह कहीं भी जाए यह घर उसका था, है और रहेगा। उसका जब मन करे वह यहां आ सकती है। आपका ऐसा कहने से आपकी बेटी आत्‍मविश्‍वास से भर जाएगी.

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जोर से मत हंसा करो

अगर आप भी सोचते हैं कि महिलाओं को हल्‍की और धीमी आवाज में बात करनी चाहिए तो अपनी बेटी की भलाई के लिए अपने इस सोच को बदलें। यदि आप अपनी बेटी की आवाज को दबाएंगे, तो उसे बाहरी दुश्‍मनों की जरूरत नहीं है। उसे कहें कि वह जैसी है वैसी ही रहे, उसे जैसा करना है करें लोगों के लिए अपनी खुशी को न दबाएं।

चार लोग क्‍या कहेंगे

हम आप सभी को बता दे कि, ऐसा मत करो, वैसा मत करो, लोग क्‍या कहेंगे. लोगों की सोच कर अपनी बेटी को बंधनों में न बांधें। अगर आप अपनी बेटी की भलाई चाहते हैं तो आप एक सपोर्टिव फादर बनें और लोगों की परवाह छोड़ कर अपनी बेटी की परवाह करें। अगर आप खुद ही अपनी बेटी को लोगों की सोचकर चले को कहेंगे तो वह कभी अपनी खुशी को ऊपर नहीं रख पाएगी। अपनी बेटी को सिखाएं कि उसका मन माने और जो उसे हर तरह से सही लगता हो वे वहीं करें.

लड़कों से बात क्‍यों करती हो

आप अपनी बेटी को कभी भी उसके दोस्‍त चुनने पर रोक न लगाएं न ही उसके दोस्‍तों को जेंडर के आधार पर बांटें। आपके जमाने में लड़के और लड़कियां दोस्‍त न होते हों, पर अब यह आम बात है। अगर आप इसके लिए उसे रोकेंगे, तो वह अपने पियर ग्रुप में अलग थलग पड़ जाए। उसका आत्‍मव‍िश्‍वास इससे कमजोर होगा और वह दूसरे जेंडर के साथ नॉर्मल नहीं रह पाएंगी.



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