राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह, खर्चा, आमंत्रण, मंदिर की ऊंचाई, क्या क्या सुविधाएं, जाने सबकुछ : Religion


Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. 22 जनवरी को रामलला को गर्भ गृह में स्थापित किया जाएगा. हर राम भक्त को इस दिन का लंबे समय से इंतजार था. अयोध्या में 22 जनवरी से लेकर 25 मार्च तक कई खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. किसी भी मंदिर में की जाने वाली भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का बहुत महत्व होता है. मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बिना भगवान का पूजन अधूरा माना जाता है.

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वाराणसी से आए वैदिक आचार्य कराएंगे पूजन

हम आप सभी प्रिये पाठकों बताते चले कि, 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा होगी. वाराणसी से आए वैदिक आचार्यों के अनुसार सिंहासन (आसन) पर पहले कूर्म शिला व स्वर्ण से निर्मित कच्छप, ब्रहा शिला का भी अधिवास होता है. तीन पिंडिका भी रखी जाएंगी. आचार्यों के अनुसार इसके अलावा भगवान के आसन के ठीक नीचे श्रीराम यंत्र की प्रतिष्ठा की जाएगी.

रामलला के आसन का पूजन होगा

रामलला के आसन की भी पूजन किया जाएगा. इस आसन के नीचे कुल 45 द्रव्य रखे जाएंगे. इसमें नौ रत्नों में हीरा, पन्ना, मोती माणिक्य, पुखराज व लहसुनिया, गोमेद के अलावा पारा, सप्त धान्य व विविधि औषधियां हैं. इसके बाद नवीन विग्रह को आसन पर प्रतिष्ठित किया जाएगा. गोघृत व शहद मिश्रण से युक्त स्वर्ण शलाका से भगवान के नेत्र उन्मीलित किए जाएंगे. भगवान को दर्पण दिखाया जाएगा.

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ये सपन्न कराएंगे अनुष्ठान

आप सभी को बता दे कि, विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता और धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी ने बताया कि आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़, प्रमुख आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित, अरुण दीक्षित, सुनील दीक्षित, दत्तात्रेय नारायण रटाटे, गजानन जोतकर, अनुपम दीक्षित आदि प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान संपन्न कराएंगे। इसमें 11 यजमान भी मोजूद होंगे.

इन लोगों को मिला आमंत्रण

राम लला’ के भव्य प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ देश भर के करीब 10,000 गणमान्य लोगों के शामिल होने की उम्मीद है और 6,000 निमंत्रण कार्ड देश भर से आमंत्रित लोगों को भेजे गए हैं. इसमें राजनेता, बॉलीवुड के बड़े नाम और खेल की दुनिया के प्रमुख नामों को शामिल किया गया है. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी,
विक्रमादित्य सिंह (हिमाचल प्रदेश), कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी (ससम्मान शामिल होने से किया मना),कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राजनेताओं को आमंत्रित किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में खेल जगत से भी लोगों को आमंत्रित किया गया है जिनमें सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली का नाम शामिल है. इसके अलावा फ़िल्म जगत से

अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, चिरंजीवी, माधुरी दिक्षित नेने, आलिया भट्ट, अरुण गोविल,अक्षय कुमार, अनुपम खेर, संजय लीला भंसाली, धनुष, मोहनलाल, रणबीर कपूर, ऋषभ शेट्टी, कंगना रनौत, मधुर भंडारकर, टाइगर श्रॉफ, अजय देवगन,प्रभास, यश, सनी देयोल,आयुष्मान खुराना, दीपिका चिखलिया टोपीवाला, मधुर भंडारकर,
महावीर जैन, जैकी श्रॉफ इनके अलावा इस लिस्ट में दलाई लामा, रतन टाटा, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी
गौतम अडानी, टीएस कल्याणरमन (कल्याण ज्वैलर्स के एमडी) का भी नाम शामिल है

विदेशी मेहमान भी होंगे शामिल

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में विदेशी मेहमान भी शामिल हो रहे है. इस समारोह में 100 अंतरराष्ट्रीय मेहमानों भी शिरकत कर रहे है. साल 2014 की शुरुआत में नरेंद्र मोदी के लिए वीज़ा मंजूरी की पैरवी करने वाले ऑन्कोलॉजिस्ट का भी नाम शामिल है. इस कार्यक्रम के लिए वीएचपी की गेस्ट लिस्ट में अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका सहित 53 देशों के अतिथि शामिल हैं.

राम लला के मंदिर निर्माण में कितना खर्च हुआ

अयोध्या में राम लला के मंदिर निर्माण पर अब तक 900 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बैंक खातों में अभी भी 3000 करोड़ रुपये हैं. ट्रस्ट के अधिकारियों ने 7 अक्टूबर को यह जानकारी दी. ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने बताया, ‘मंदिर निर्माण पर 5 फरवरी 2020 से 31 मार्च 2023 तक 900 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा बचे हैं.’

अयोध्या में हैं 108 एकड़ में राम मंदिर परिसर

हम आप सभी को बता दे कि, रामजन्मभूमि परिसर 108 एकड़ का होगा. अभी यह परिसर 75 एकड़ के करीब ही है. नौ नवंबर 2019 को सुप्रीमकोर्ट के आदेश के साथ रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को मंदिर और उससे जुड़े निर्माण के लिए 67.77 एकड़ से कुछ अधिक भूमि प्राप्त हुई। ट्रस्ट को इसके बाद मंदिर को अधिकाधिक भव्यता देने के हिसाब से कुछ और भूमि की आवश्यकता महसूस हुई और इसी आवश्यकता के अनुरूप तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट गत दो-ढाई वर्ष से परिसर को विस्तार देने में लगा है.

161 फीट ऊंचा है भव्य राम मंदिर

राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अनुसार, “राम मंदिर की निर्माण तीन मंजिला हो रहा है, जो कि पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है और इसकी पूर्व-पश्चिम 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है. मंदिर की प्रत्येक फ्लोर 20 फीट ऊंचा है. इसमें 392 स्तंभ और 44 दरवाजे हैं.

वास्तुकला की नगर शैली में निर्मित, मंदिर में तीन मंजिलें हैं, और पहले दो की तुलना में पांच गुंबद हैं, जो मूल लेआउट के आकार से लगभग दोगुना है. राम मंदिर को इस तरह से बनाया जा रहा है कि अयोध्या में रामलला के दर्शनाभिलाषी के लिए इसे देखना किसी आश्चर्य से कम न हो. राम मंदिर के भूतल में सिंहद्वार, गर्भगृह, नृत्यद्वार, रंगमंडप बना है.

मंदिर की भव्यता को और शोभनीय बनाने के लिए 57 एकड़ क्षेत्र में फैले मंदिर में 360 खंभे लगाए गए हैं. रामलला के भव्य मंदिर की संरचना अकल्पनीय है. मंदिर का गर्भगृह एक विशाल संरचना है.20 बाई 20 फीट के आयाम वाला गर्भगृह बनाया गया है.

राम मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिरों का भी किया गया निर्माण

हम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट हैं. परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया गया है. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है इसके अलावा

मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान है . मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित है. दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है. एवं वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है. मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है.

राम मंदिर में क्या-क्या सुविधाएं मौजूद

मंदिर में 5 मंडप के साथ नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप होंगे. खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी हैं. मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा. दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी. आप सभी को बता दे कि, 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी. मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी. मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा.

राजा विक्रमादित्य से जुड़ा राम मंदिर का इतिहास

माना जाता है कि भगवान राम की नगरी अयोध्या को सतयुग में वैवस्वत मनु ने स्थापित किया था. वाल्मीकि रामायण के मुताबिक इसी नगरी में राम जी का जन्म हुआ और कई सालों तक अयोध्या में राम राज चला. इसके बाद माना जाता है कि प्रभु श्रीराम के जल समाधि लेने के कई बरस बाद उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य इस धरती पर आखेट करने पहुंचे. पौराणिक कहानियों के अनुसार उन्हें जमीन पर कुछ चमत्कारिक सा घटता दिखा. जिसके बाद उन्होंने उस जगह का इतिहास जाना और खोज करवाई. तो उन्हें यहां श्री राम के होने के साक्ष्य मिले. जिसके बाद उन्होंने यहां काले रंग के कसौटी पत्थरों के साथ 84 स्तंभ वाले मंदिर का निर्माण करवाया. जहां विधिवत भगवान राम की पूजा होती थी.

इसके बाद अयोध्या में कई राजा रजवाड़े आए और चले गए. 14वीं शताब्दी में भारत में मुगलों का शासन शुरू हुआ. साल 1525 में मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बांकी ने राम जन्मभूमि पर बने प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद का निर्माण कराया. इसके बाद अंग्रेजों के समय से ही राम जन्मभूमि विवाद चलता चला गया. नवंबर 2019 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया गया. जब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिला.

भगवान राम के दरबार से कोई नहीं जाएगा भूखा…

अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने वाली है. इसके लिए तैयारियां भी पूरी हो चुकी है. प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने वाले अतिथियों के लिए पूरी व्यवस्था की गई है. राम के दरबार में आए अतिथि भूखा नहीं रहेगा. इसके लिए 22 जनवरी को अयोध्या में 45 स्थानों पर भंडारे लगाए जाएंगे. इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां भी चल रही है. मीडिया के अनुसार भगवान राम के दरवार में पूरी तरह शुद्ध सात्विक भोजन ही परोसा जाएगा. इस दौरान अलग-अलग राज्यों के खास व्यंजन जैसे लिट्टी-चोखा, राजस्थानी दाल बाटी चूरमा, पंजाबी तड़का, दक्षिण भारतीय मसाला डोसा और इडली, बंगाली रसगुल्ले, जलेबी और मिठाइयों भी बनाने की तैयारी चल रही है.

अलग-अलग जगहों पर भोजनालय

हम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग भोजनालय बनाए गए हैं। पंजाब से तेलंगाना, महाराष्ट्र और राजस्थान के भक्तों की ओर से लंगर की व्यवस्था की जाएगी. वहीं दक्षिण भारत की अम्मा जी रसोई की ओर से भी भोजनालय संचालित किया जाएगा. अलग-अलग स्थानों पर भी भोजनालय संचालित किया जाएगा.

साधू संतों के लिए विशेष इंतजाम

हम आप सभी को बता दे कि, भगवान राम की नगरी अयोध्या में साधू-संतों को ध्यान में रखते हुए विशेष इंतजाम किया जा रहा है. साधू-संतों के लिए कुट्टू के आटे की पूड़ी, साबूदाना के आइटम, मूंगफली की व्यवस्था है. इसके अलावा गेहूं के आटे की पूड़ी, चार प्रकार की सब्जी, रोटी, बासमती चावल, गोविंद भोग चावल, कचौड़ी, दाल, पापड़, खीर, करीब 10 तरह की मिठाइयां भी रहेंगी. नाश्ते में जलेबी, मूंग की दाल और गाजर का हलवा, चाय, कॉफी, चार पांच तरह की पकौड़ियों का इंतजाम है.

कहां से क्या-क्या

  • राजस्थान – दाल बाटी चूरमा, मोहन थाल, मावा कचोर, कलाकंद, प्याज की कचोर, कढ़ी, मूंग की दाल का हलदा, मालपूआ
  • महाराष्ट्र- पाव भाजी, वड़ा पाव, पोहा, साबूदाना खिचड़ी, सोल कढ़ी, आमटी (महाराष्ट्रीयन दाल)
  • दक्षिण भारतीय व्यंजन- इडली, बड़ा, उपमा, सांबर, नारियल की चटनी.
  • गुजरात- ढोकला बासुंदी, आलू वड़ी, मेथी साग, गुजराती खिचड़ी, मोहन थाल, गुजराती कढ़ी
  • तेलंगाना- पुंटिकुरा चना दाल, बचली कुरा, चना दाल, मूंगफली से बना सर्वपिंडी, बचाली कुरा एक पत्तेदार सब्जी है जिसे मालाबार पालक या सीलोन पालक के नाम से भी जाना जाता है.



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