लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार….. : India


Citizenship Amendment Act: जल्द ही भारत में लोकसभा चुनाव होने वाला है। चुनाव से पहले मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने का ऐलान कर दिया है। इस कानून के लागू होने पर 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और

अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को यहां पांच साल तक निवास करने के बाद भारतीय नागरिकता दी जा सकती है भारत की नागरिकता दी जा सकती है।

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हम आप सभी को बता दे कि, CAA को दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, पर देश के कई हिस्सों में Citizenship Amendment Act (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। यही कारण है कि यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका था, क्योंकि इसको अमल में लाने के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना अभी बाकी था।

Citizenship Amendment Act: 11 दिसंबर, 2029 को राज्यसभा में हुआ था पास

हम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा द्वारा Citizenship Amendment Act (CAA) पारित करने के बाद देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें आंदोलनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ तीखी झड़प भी हुई थी,

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जिससे प्रशासन को कई कस्बों और शहरों में कर्फ्यू लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले कहा था कि, सीएए नियमों को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित और लागू किया जाएगा।

टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों और संगठनों ने Citizenship Amendment Act के लागू होने के बाद सरकार के इस फैसला का विरोध किया है और प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि,

वो लोगों के साथ होने वाले भेदभाव का विरोध करेंगी। दूसरी ओर सरकार का कहना था कि, पाकिस्तान, बाग्लादेश और अफगानिस्तान में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं जबकि हिंदू और अन्य जातियां अल्पसंख्य है।

Citizenship Amendment Act: पूर्वोत्तर समेत कई राज्यों में हुआ था विरोध

दरअसल, सीएए कानून को 2019 में जब संसद से हरी झंडी मिली थी तब से ही भारत के पूर्वोत्तर समेत कई राज्यों में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुआ था। Citizenship Amendment Act कानून लागू के विरोध में प्रदर्शन करने वालों को कहना था कि,

सरकार वोटबैंक की राजनीति कर रही है इसलिए इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है। भारत के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए उस समय सरकार सीएए को ठंडे बस्ते में डाल दी थी। हालांकि, समय-समय पर इस मुद्दे पर चर्चा होती रही।

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