VTR के जंगल में उगता है यह, लिवर के लिए रक्षा कवच, इन दर्जनों… : Health


Long Pepper: भारत आयुर्वेद की भूमि है, आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है। माना जाता है कि यह प्रणाली भारत में 5000 साल पहले उत्पन्न हुई थी। आयुर्वेद शब्द दो संस्कृत शब्दों ‘आयुष’ जिसका अर्थ जीवन है तथा ‘वेद’ जिसका अर्थ ‘विज्ञान’ है, से मिलकर बना है’ अतः इसका शाब्दिक अर्थ है ‘जीवन का विज्ञान’। भारत में न जाने कितनी ऐसी जड़ी-बूटियां पाएं जाते हैं, जिनके इस्तेमाल से बड़ी बड़ी-बड़ी भी बीमारियां दूर हो जातें हैं।

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इन्हीं जड़ी-बूटियों में एक है लौंग पीपर या पीपली। इसे अलग-अलग भाषा में अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे की, विभिन्न भाषाओं में इसके नाम इस प्रकार से हैं: संस्कृत पिप्पली, हिन्दी- पीपर, पीपल, मराठी- पिपल, गुजराती- पीपर, बांग्ला- पिपुल, तेलुगू- पिप्पलु, तिप्पली, फारसी- फिलफिल। अंग्रेज़ी- लांग पीपर, लैटिन- पाइपर लांगम। हम आप सभी को बता दे कि, पिप्पली एक वानस्पतिक पौधा है। आयुर्वेद में पिप्पली (Long Pepper) को दवा और किचन में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका स्वाद काली मिर्च की तरह तीखा होता है।

वैसे तो पिप्पली (Long Pepper) का इस्तेमाल मसालों के रूप किया जाता है, लेकिन इसके अन्य फायदों के बारे में बेहद कम लोग ही जानते हैं। माना जाता है कि सभी गरम मसालों में पिप्पली (Long Pepper) उत्तम है. वैद्यराज व मुंबई यूनिवर्सिटी के पूर्व डीन दीनानाथ उपाध्याय के अनुसार आयुर्वेद में तो पिपली को विशेष सम्मान दि गई है। इसके अलावा विज्ञान ने भी माना है कि पिपली मानव शरीर के लिए गुणों की खान है। हम आप सभी को बता दें कि

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बारिश के मौसम में पिप्पली (Long Pepper) के पौधे में फूल खिलते हैं और ठंड आते ही फल निकल आते हैं। इसके फलों को ही पिप्पली (Long Pepper) कहते हैं। खास बात यह है कि बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में इसकी उपज आसानी से हो जाती है. या फिर चंपारण के जंगली क्षेत्रों में ये आपरूपी ही फल आते हैं। पतंजलि के आयुर्वेदाचार्य भुवनेश का कहना है कि, इसका सेवन उचित मात्रा में किया जाए

तो सेहत को कई तरीके से फायदा पहुंचा सकता है। पर आपको बता दें इसके अधिक सेवन करने से नुकसान भी होते हैं। पीपली एक बहुत ही फायदेमंद मसाला है। इसमें प्रोटीन एंटी-इंफ्लेमेटरी वसा कार्बोहाइड्रेट विटामिन्स अमीनो एसिड के अलावा मिनरल्स भी मौजूद होते हैं। जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। पिप्पली (Long Pepper) के कीमत की बात करें तो अंतर्राष्ट्रीय एमजोन जैसे ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर यह 5200 रुपए प्रति केजी तक आपको आसानी से मिल जाएगा।

आयुर्वेद में विशेष के अनुसार, पिप्पली (Long Pepper) के उपयोग से ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा कंट्रोल में रहती है, साथ ही यह लिवर के लिए लाभकारी होता है। यह मौसम विशेष में शरीर को जीवाणुओं (Bacteria) से भी बचाती है। देश विदेश में पिप्पली (Long Pepper) को वही सम्मान प्राप्त है,

जो काली मिर्च को है। तीखेपन में पिपली काली मिर्च से थोड़ी कम होती है, 7वीं-8वीं ईसा पूर्व लिखे गए भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ में पिपली का वर्णन साफ़ – साफ़ किया गया है। इसे मधुर, कफवर्धक, स्निग्ध व गरम बताया गया है. अन्य प्राचीन ग्रंथ ‘सुश्रुतसंहिता’ में कुछ ऐसे आहार बताए गए हैं, जिनमें पिपली का इस्तेमाल होता है।

Long Pepper: दर्जनों बीमारियों में लाभकारी

हम आप सभी को बता दे कि, भारत की एग्मार्क लेब के संस्थापक निदेशक जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक ‘Spcices And Condiments’ में कहा है कि भारत में अधिकांश पिपली जंगली पौधों से प्राप्त होती है। इसके पौधे बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, चेरापूंजी आदि इलाकों में उगते हैं। पिप्पली (Long Pepper) को कफ, जुखाम, खांसी, बुखार, गले की खराबी, सांसों से संबंधित समस्या, अनिद्रा, कोलेस्ट्रॉल, उल्टी, हिचकी, दस्त आदि बीमारियों में चिकित्सक की सलाह के अनुसार इसका इस्तेमाल किया जाए तो काफी फायदेमंद साबित होगा.

वजन घटाने के लिए पिप्पली का उपयोग कैसे करें?

पिप्पली (Long Pepper) का इस्तेमाल वजन घटाने के लिए भी किया जाता है इसके लिए 1 गिलास गुनगुना पानी लें। इसमें 2 ग्राम पिप्पली का चूर्ण और 2 ग्राम काला नमक मिक्स करके पिएं। नियमित रूप से इस पानी का सेवन करने से पेट की परेशानी कम होगी। साथ ही शरीर का वजन भी कंट्रोल रहेगा।

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सारांश

हम आज के अपने इस लेख के माध्यम से आप सभी को पिप्पली (Long Pepper) के इस्तेमाल से होने वाले फायदा से जुड़ी संपूर्ण जानकारी के साथ पिप्पली के इस्तेमाल करने की पूरी जानकारी विस्तार से दी है। ताकि आप सभी पिप्पली से सम्बंधित पूरी जानकारी पाकर इसका पूरा-पूरा लाभ प्राप्त कर सके। हम यह दावा बिल्कुल भी नहीं करते कि, हमारे द्वारा दि गई जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी हेतु संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।



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