Relationship: रब नहीं केमिकल्स बना रही जोड़ियां: प्यार के पीछे यह लॉजिक…. : Life Style


Relationship: रंगों का त्योहार हाेली नजदीक आ गया है. बसंत आतें ही पेड़ों पर फूल ही फूल नजर आने लगते हैं ताे कहीं शाखों से पत्ते गायब दिखते हैं. आम के पेड़ों पर छोटे-छोटे फल दिखने शुरू हो जातें हैं. ये मौसम किसी शायर की तरह है, जो अलग-अलग अंदाज में अपनी रोमांटिक शायरी सुना रहा है. यह मौसम युवाओं के लिए रोमांस का महीना होता है.

इसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका से मुहब्बत का इजहार करता है. अपने प्रेम को रिझाने के लिए गुलाब के फूल और तरह-तरह के फूलों से सजा बुके देते है. अलग-अलग रंगों की तरह ही वह तमाम वादे करते है. हवाओं-फिजाओं हर ओर से बस मुहब्बत की खुशबू आती है. यही कारण है कि, इसे महीने को प्यार का महीना भी कहते हैं.

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आज के अपने इस लेख में ‘रिलेशनशिप’ कॉलम में जानेंगे, प्यार के पीछे का साइंस.

  • -क्यों हर किसी से नहीं होता प्यार।
  • क्या अपोजिट्स अट्रैक्ट करते हैं।
  • दिल टूटने पर क्यों होता है दर्द।
  • -साथी का दिल टूटा तो कैसे संभालें।

अक्सर लोग कहते हैं कि, प्यार किया नहीं जाता, बस हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं? कि इसके पीछे भी सारा खेल विज्ञान का है. चलिए जानते हैं कैसे-

Relationship: कैसे होता है पहली नजर में प्यार

हम आपको बता दें पहली नजर के प्यार के लिए आपके नजर से अधिक डीएनए की अहम भूमिका है. फेमस क्रोएशियाई जेनिटिसिस्ट तमारा ब्राउन के अनुसार, डीएनए का एक हिस्सा है मानव ल्यूकोसाइट एंटीजन. यह पहली नजर में प्यार खोजना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. इस कारण हमारे शरीर से खास महक आती है. इसी महक से कोई आपकी पसंद या नापसंद बनता है.

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रब नहीं केमिकल्स बना रहे जोड़ी

जब कोई व्यक्ति प्यार में पड़ता है तो तरह-तरह के अनुभव करता है और उसके मन के साथ शरीर में कई बदलाव होते हैं. असल में ये बदलाव ही आपको प्यार के लिए प्रेरित कर रहे होते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार प्रेम की शुरुआत में हमारे शरीर में तीन तरह के केमिकल्स खलबली मचाते हैं. ये दिमाग में प्यार के बीज की तरह हैं-

  • नोराड्रेनालाइन
  • डोपामाइन
  • फेनएथलामिन

नोराड्रेनालाइन का सारा खेल

हम आप सभी को बता दे कि, नोराड्रेनालाइन नाम का एक केमिकल होते हैं जो आपके दिमाग को प्यार के लिए उकसाता है. इसके कारण ही एड्रेनालाइन बनना शुरू होता है, जिससे आपके दिल की धड़कन तेज हो जाती है और आप खुद को नर्वस महसूस कर सकते हैं. इससे आपके हथेली पर पसीना भी आ सकता है.

इसके बाद दूसरा केमिकल डोपामाइन रिलीज होता है, जो आपको अच्छा महसूस कराता है. इसके बाद फेनएथलामिन नाम का एक केमिकल रिलीज होता है, जो आपको अनोखा एहसास दिलाता है. इन ही अहसासों को हम प्यार की निशानी मान लेते हैं. जैसे ही हमारे साथ यह सब होता है, हमें लगनें लगता है कि हमें प्यार हो गया है.

तीन तरह का होता है प्यार

आपको बता दें प्यार को विज्ञान तीन अलग कैटगरीज में बांटकर देखता है. ये तीन लेवल की तरह भी हैं. जैसे-जैसे प्यार बढ़ता है, ये जगह लेते जाते हैं. और यह तीन कैटगरीज है लस्ट, अट्रैक्शन, लगाव

  • पहली तरह का प्यार होता है लस्ट. यह पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन और महिलाओं में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन के कारण होता है.
  • दूसरी तरह का प्यार आकर्षण है. इसमें आपको नशे की तलब जैसा महसूस होता है, जैसे कोई लती व्यक्ति शराब या सिगरेट की तलाश करे.
  • तीसरे और आखिरी लेवल में साथी से लगाव हो जाता है और आप उसके साथ भविष्य की योजनाएं बनाते हैं.

क्या अपोजिट्स अट्रैक्ट करते हैं?

आपने सुना ही होगा कि, अपोजिट्स अट्रैक्ट करते हैं. यह बात अपोजिट सेक्स के बीच तो काफी हद तक ठीक है. पर विचारों के मामले में सही नहीं समझ आती है.

शुरू-शुरू में ऐसा हो सकता है कि, किसी का अपोजिट नेचर आपको नया और एक्साइटिंग लगे. इसके कारण आपको अट्रैक्शन हो जाए. पर यह लंबे वक्त तक नहीं टिकता है. अमेरिकी यूनिवर्सिटी कोलेराडो बॉल्डर की Romantic Relationships पर की गई रिसर्च भी इसी ओर इशारा करती है. इसके अनुसार, 89% युवा ऐसे पार्टनर्स के साथ लंबे वक्त तक रिश्ते में बने रह पाते हैं, जिनकी सोच, विचार और लाइफ वैल्यूज मेल खाती हों.

दिल टूटने पर क्यों होता है दर्द

प्रेमी जोड़े के बीच जैसे-जैसे प्रेम होता है. उन्हें दुनिया भी अच्छी लगने लगती है. उन्हें ऐसा लगता है जैसे सबकुछ अपने ही हक में तो हो रहा है, सब हमारे मुताबिक. लेकिन सब दिन एक जैसा कहां रहते हैं. एक ऐसा भी दिन आता है जब दिल टूटता है, प्रेमी जोड़ा बिछड़ता है और उनकी सुंदर दुनिया अचानक उजड़ जाती है.

दिमाग में तूफान सा उठता है, उथल-पुथल मच जाती है. जिसका मन और शरीर पर गहरा असर पड़ता है. कई बार इसी दौरान लोग तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. इसके पीछे भी हार्मोन्स ही होते हैं. सबसे पहले तो डोपामाइन जैसे फील गुड हाॅर्मोंस रिलीज होना बंद हो जाते हैं. कडल हाॅर्मोंस भी एक्टिव नहीं होते.

ऑक्सीटॉसिन और सिरोटॉनिन जैसे हैप्पी हाॅर्मोन नहीं रिलीज हो रहे होते. ये सब मिलकर मन और शरीर को बुरा असर डालते हैं. अगर आपका भी कोई करीबी दोस्त या फिर आप खुद ब्रेक-अप से गुजर रहा है तो आपको किसी के साथ की जरूरत है. जो आपको इस स्थिति से निकलने में आपकी सहायता कर सकें नीचे दिए ग्राफिक से समझिए आप कैसे उसकी मदद कर सकते हैं-

Relationship: ब्रेकअप से गुजर रहे दोस्त को ऐसे करें डील

सलाह देने के बजाय उसे सुनें
उसकी पर्सनल बातें किसी से शेयर न करें
उसके साथ समय बिताएं
उसे अकेला न छोड़ें
उसके साथ कहीं घूमने जा सकते हैं
स्थिति बिगड़े तो मनोवैज्ञानिक के पास ले जाएं

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