वैक्सीन से हो रहा ब्लड क्लॉटिंग? हार्ट अटैक सहित इन बीमारियों… : Health


Covid Vaccine: कोविड से बचाव के लिए दिए जाने वाले कोविड (Covid-19) वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर देश-दुनिया में सालों से कई तरह के सवाल उठाते आ रहे हैं. हाल ही में रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि, Covid Vaccine लेने के बाद लोगों में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ा है। लेकिन अब इससे जुड़ी एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।

इस रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि, Covid Vaccine के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। आपको बता दें कंपनी ने कोर्ट में पेश दस्तावेजों में यह दावा किया है कि, Covid Vaccine के साइड इफेक्ट्स के कम मामले हो सकते हैं। लेकिन कुछ लोगों पर इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स दिख सकते हैं। Obviously और वैक्सजेवरिया वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के कारण ही लोगों में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ा है।

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Covid Vaccine: शरीर में ब्लड क्लॉट होने पर क्या-क्या बदलाव होते हैं?

आपको बता दें कि, जो व्यक्ति जितना ज्यादा खुद एक्टिव रहता है। वह उतना ही ज्यादा हेल्दी और एनर्जेटिक महसूस करता है। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति कि इम्युनिटी पॉवर भी मजबूत रहती है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति घंटों एक ही जगह बैठा रहे एक्सरसाइज, जिम या किसी भी तरह का वर्कआउट न करें तो वह व्यक्ति धीरे-धीरे सुस्त होने लगता है। आजकल पुरुष हो या महिला दोनों ही शारीरिक काम नहीं करना चाहते हैं इस कारण उनका शरीर धीरे-धीरे बीमारियों का घर बन जाता है।

आजकल ज्यादातर लोग घंटों ऑफिस में एक जगह बैठकर काम करते हैं। जिससे शरीर में कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जब कोई व्यक्ति काफी देर तक एक ही जगह पर बैठा रहता हैं तो शरीर में खून के थक्के जमने की परेशानी बढ़ जाती है। शरीर में खून के थक्के जमने को ‘वेन थ्रोम्बोसिस’ की बीमारी कहते हैं।

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थ्रोम्बोसिस की बीमारी क्या?

ब्लड क्लॉटिंग एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति के शरीर में हो सकती है। काफी ज्यादा प्लेन, ऑटोमोबाइल या बस, ट्रेन में घंटों बैठने के कारण यह बीमारी हो सकती है। हालांकि यह बीमारी खतरनाक रूप तब हो जाती है जब ब्लड क्लॉट्स का एक हिस्सा टूट कर फेफड़ों तक पहुंच जाता है। इसे पल्मोनरी एम्बोलिज्म कहते हैं।

कब बढ़ जाता है इस बीमारी का खतरा

  • अगर किसी का वजन ज्यादा बढ़ा हुआ है तो उन्हें इस बीमारी का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
  • ये बीमारी महिलाओं को 40 साल की उम्र के बाद हो सकती है।
  • इस बीमारी का जोखिम सर्जरी या चोट लगने के बाद भी बढ़ता है।
  • एस्ट्रोजन कंटेनिंग कॉन्ट्रासेप्टिव खाने से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
  • इस बीमारी का अगर किसी व्यक्ति की फैमिली हिस्ट्री रही है तो खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है।
  • एक्टिव कैंसर या हाल ही में कैंसर के इलाज के कारण

इस बीमारी के लक्षणों की पहचान कैसे करें

यानि कोई व्यक्ति खून के थक्के जमने की बीमारी से पीड़ित है। तो वैसे 50 प्रतिशत व्यक्ति में कोई खास लक्षण नहीं दिखता हैं। इसके शुरुआती संकेतों की बात करें तो यह बीमारी सबसे पहले पैर, बांह और फेफड़ों को ज्यादा प्रभावित करती है। इसके आम लक्षणों में से एक है बांहों में सूजन, दर्द, पल्मोनरी एम्बोलिज्म आदि का होना।

इस बीमारी से कैसे खुद को बचाएं

अगर आप घंटों तक ट्रेवल कर रहे हैं तो बीच-बीच में पैर हिलाते रहें. ताकि इससे आपका ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहेगा. एक्सरसाइज जरूर करें. अगर आप घंटों एक ही जगह बैठे रहते हैं तो थोड़ा ब्रेक लेकर उठे. डेस्क जॉब है तो बीच-बीच में उठकर 15 मिनट का गैप लें.

अगर आपने कोरोना वैक्सीन (Covid Vaccine) ली है तो यह जरूरी है कि आप खुद को एक्टिव रखें। अपनी इम्युनिटी को मजबूत बनाएं करने के लिए अपने खानपान और लाइफस्टाइल का ध्यान रखें।

किसी व्यक्ति को अगर हीमोफीलिया की बीमारी है तो खून का थक्का जमना उनके लिए फायदेमंद होता है। लेकिन कई बार यह काफी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। ‘सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन’ की रिपोर्ट के अनुसार

हर साल बॉडी में खून का थक्का जमने के कारण लगभग 100,000 लोगों की मौत हो जाती है। आपको बता दें कैंसर से पीड़ित लोगों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण यह भी है। ब्लड क्लोटिंग एक साइलेंट किलर की तरह काम करता है।

ब्लड क्लॉटिंग होने से कई सारी बीमारियों का बढ़ता है खतरा

हार्ट अटैक

आप सभी को बता दे कि, थ्रोम्बोसिस के कारण हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और प्लेटलेट्स गिरने का खतरा होता है। दिल का दौरा एक बेहद खतरनाक स्थिति है। इस स्थिति में दिल की एक या उससे अधिक धमनियों में ब्लॉकेज होने लगते हैंऔर दिल में सही से ऑक्सीजन नहीं पहुंचता है। जिस कारण खून के थक्के जमने लगते हैं। और बाद में हार्ट अटैक पड़ जाता है।

Covid Vaccine: ब्रेन स्ट्रोक

आपको बता दें ब्रेन स्ट्रोक की स्थिति में भी ऐसा ही होता है ब्रेन में ब्लड ठीक तरीके से नहीं पहुंचने के कारण दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए

यूके में अब ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन इस्तेमाल नहीं दी जाती है। हालांकि, कई इंडिपेंडेट स्टडीज में इस वैक्सीन को महामारी से निपटने में कारगर बताया गया। वहीं, साइड इफेक्ट्स के कारण इस वैक्सीन के खिलाफ जांच शुरू की गई और कानूनी कार्रवाई भी हुई।

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