Bee Keeping: दोस्त ने दिया आइडिया..तो बिहार से यूपी आकर… : Success Story


Bihar Business Idea Bee Keeping: कहते हैं अगर आप कुछ अच्छा करना चाहे तो पूरी कायनात आपके पक्ष में होती है। ऐसा ही कुछ हुआ रायबरेली जनपद के बछरावां कस्बे में बीते 5 वर्षों से रह रहे बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले के मुकेश कुमार के साथ, जिन्हें बिहार को छोड़कर रायबरेली में रहना पड़ रहा है।

आज हम आप सभी को अपने इस लेख में एक ऐसे किसान के बारे में बतानें जा रहें हैं, जो मधुमक्खी पालन कर लोगों के सामने मिसाल पेश कर रहा है और आज वह शहद बेचकर लाखों रुपए की कमाई कर रहा है। उनके द्वारा उत्पादित शहद की डिमांड आज दूर- दूर तक है।

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हम आप सभी को बता देना चाहते हैं कि, मुकेश बेहद गरीब परिवार से थे, उनकी परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण मुकेश इंटरमीडिएट तक आपने शहर मुज़फ्फरपुर से पढ़ाई पूरी की। आगे की पढ़ाई का खर्च उनके माता-पिता नहीं उठा सके, तो उन्होंने सोचा की क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए जिससे कम लागत में अच्छी कमाई हो।

तभी उनकी मुलाकात सोनू कुमार से हुई जो रायबरेली के गंगागंज के रहने वाले थे, वह घूमने के लिए गए थे। वह पेशे से मधुमक्खी पालक थे, तो उन्होंने मुकेश को भी मधुमक्खी पालन (Bee Keeping) की सलाह दी और कहा कि सरसों व फूलों की खेती रायबरेली में ज्यादा होती है। इसलिए आप रायबरेली में ही आकर यह काम शुरू करें। जिससे आप कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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Bee Keeping: कम लागत में अधिक मुनाफा

मुकेश अपने दोस्त की सलाह मानकर रायबरेली आ गया, फिर यहां पर उन्होंने दोस्त की सहायता से मधुमक्खी पालन का काम शुरू कर दिया। मुकेश कुमार के अनुसार लगभग वह आधा एकड़ जमीन पर मधुमक्खी पालन (Bee Keeping) कर रहे हैं। इस काम में शुरुआत में लगभग 35 से 40 हजार रुपए का एक बार खर्च आता है। उसके बाद सीजन में लगभग एक से डेढ़ लाख रुपए की कमाई हो जाती है।

Bee Keeping: इस प्रकार होता है मधुमक्खी पालन

मुकेश कुमार बताते हैं कि, मधुमक्खी पालन करने में बॉक्स की जरूरत पड़ती है। जिनका आकार 2×2 का होना चाहिए। उन्हीं में दो जाली लगाई जाती है। इसके बाद उन्ही में मधुमक्खियां को छोड़ा जाता है, जो डेढ़ से 2 महीने में शहद तैयार करना शुरू कर देती हैं। बॉक्स में लगी जाली पर शहद इकट्ठा हो जाता है

और डेढ़ से 2 महीने के बाद उसे निकाल कर बेचा जाता है। मार्केट में शहद की अच्छी मांग होने के कारण अच्छे दाम मिल जाते हैं। मुकेश कुमार के अनुसार लखनऊ और कानपुर की कई कंपनियां उनसे उनके खेत से ही शहद खरीद कर ले जाती हैं। इसीलिए उन्हें शहद बेचने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है।

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