Bihar School Timings: बिहार के सरकारी स्कूलों में फिर बदलेगा टाइम टेबल


Bihar School Timing Controversy: बीते गुरुवार से बिहार की सभी सरकारी विद्यालय नई टाइमिंग के साथ खुल गई है. लेकिन, इस नई टाइमिंग (Bihar School Timing) को लेकर शिक्षक संघ में आक्रोश बढ़ता नजर आ रहा है. यहां तक कि, बिहार के सरकारी स्कूलों में टाइम टेबल (Bihar School Timing) को लेकर विवाद छिड़ गया. शिक्षक संघ ने स्कूल के समय में बदलाव की मांग करने लगे है.

आपको बता दें कि, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी (Bihar CM Nitish Kumar) को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने सरकारी विद्यालयों में मॉर्निंग शिफ्ट के संचालन के समय को परिवर्तित करने की गुहार लगाई है.

पत्र में उन्होंने साफ – साफ लिखा है कि शिक्षा विभाग के तानाशाही रवैये से बच्चों की जान जोख़िम में है, तो वही पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग ( Education Department) के असंवेदनशील और अव्यावहारिक आदेश को तुरंत ही रद्द कर देना चाहिए.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग को शारीरिक, मानसिक और राजनीतिक रूप से स्वस्थ रहने की आवश्यकता है. शिक्षा विभाग के आदेश पर 16 मई से लाखों बच्चे और शिक्षक 90% उपस्थिति की गारंटी के साथ खाली पेट और दोपहर 12:00 बजे तक जब बिहार का तापमान 45 डिग्री रहता है, तब स्कूल आने पर विवश हैं और शिक्षकगण चिलचिलाती धूप में 1:30 के करीब घर लौट रहे हैं.

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बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव ने यह भी कहा कि, मुजफ्फरपुर के एक शिक्षक, अविनाश कुमार, लू के चपेट में आने के कारण इस दुनिया में नही रहें. यहां तक कि कई सारे सुकुमार बच्चे भी इस वजह से बीमार हो चुके हैं. लेकिन विभाग बेपरवाह है. शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह गुहार लगाई कि जल्द से जल्द स्कूल की टाइमिंग को बदला जाएं.

शत्रुघ्न प्रसाद ने कहा कि प्राथमिक से विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षकों की सेवा वोकशनल होती है तो वही, अन्य सरकारी सेवाओं में यह ननवोकशनल होती. साथ ही शिक्षकों को 14 दिन का अर्जित अवकाश दिया जाता है तो वही, अन्य सरकारी कर्मियों को 33 दिन का अवकाश प्राप्त होता है. शत्रुघ्न प्रसाद ने मुख्यमंत्री ( CM Nitish Kumar) को बताया कि शिक्षा विभाग के इस आदेश से भारी नुकसान हो चुका है जिसे तुरंत रद्द कर देना चाहिए.

तिरहुत शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के विधान परिषद सदस्य प्रोफेसर संजय कुमार सिंह ने भी बताया है कि शिक्षा विभाग (Education Department) धानमंडल, मुख्यमंत्री की घोषणा और राज्यपाल से माननीय उच्च न्यायालय तक के फैसले का भी पालन नहीं कर रहा है. इससे बिहार के बच्चों और शिक्षकों का भविष्य संकट में है.

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