Bihar Special State Status : बिहार और आंध्र प्रदेश को मिलेगा विशेष राज्य….


Bihar Special State Status : इस बार लोकसभा चुनाव ((Lok Sabha elections 2024) काफी दिलचस्प रहा. फिलहाल ऐसी स्थिति है कि, आम चुनाव के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar Chief Minister Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) केंद्र में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने को तैयार हैं.

जाहिर है, लम्बे समय से चल रही बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की उनकी मांगें फिर से चर्चा में आ गई हैं. इस चुनाव में TDP ने 16 और जेडी (यू) ने 12 सीटें जीती हैं. ये दोनों ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA ) का हिस्सा हैं.

बिहार ने कब शुरू की विशेष राज्य की मांग

बिहार में पहली बार नहीं है जब विशेष राज्य के दर्जे की मांग की बात हुई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह मुद्दा (Bihar Special State Status) पहली बार तब उठाया था जब उन्होंने 2005 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने कहा था कि, जब से बिहार झारखंड के अलग हुआ़ है बिहार एक पिछड़ा और गरीब राज्य बना हुआ है. पिछले साल नवंबर में जाति जनगणना (Caste Census) के आंकड़े जारी करते समय उन्होंने एक बार फिर यह मांग दोहराई थी.

नायडू की मांग भी पुरानी है

आंध्र प्रदेश के लिए चंद्रबाबू नायडू भी लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा की मांग कर रहे हैं. जब 2014 में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ और तेलंगाना अलग राज्य बना तो इसके राजस्व का एक बड़ा हिस्सा समाप्त हो गया. इसके बाद 2017 में ही चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य (Special State Status) का दर्जा देने की मांग उठा रहे हैं. वह अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी के रूप में फिर से स्थापित करने की अपनी स्थगित योजना को पुनर्जीवित करना चाहते हैं. जिसके लिए धन की आवश्यकता होगी.

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कब से मिला विशेष राज्य का दर्जा

हम आपको बता दें कि, 1969 में पांचवें वित्त आयोग (अध्यक्ष महावीर त्यागी) ने गाडगिल फॉर्मूले के आधार पर 3 राज्यों (जम्मू और कश्मीर, असम और नागालैंड) को विशेष राज्य का दर्जा इस लिए दिया गया था क्योंकि इन राज्यों में सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक पिछड़ापन था. इसके बाद कुछ और राज्यों को इस सूची में शामिल किया गया.

विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद ये हैं फायदे

हम आपको बता दें, जब योजना आयोग था, तब केंद्र के बजट में नियोजित व्यय का लगभग 30% विशेष राज्यों के लिए रखा जाता था. विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को ऋण स्वैपिंग योजना और ऋण राहत योजनाओं का लाभ भी मिलता था. विशेष दर्जा वाले राज्यों को एक और छूट थी.

वह केंद्र सरकार से प्राप्त धन का उपयोग. इसका अर्थ यह है कि, अगर किसी वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित राशि उस वर्ष पूरी तरह खर्च नहीं हुई, तो उसे अगले वित्तीय वर्ष में खर्च करने के लिए जारी कर दिया जाता था. हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नीचे दिए गए 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है.

  1. मणिपुर
  2. मेघालय
  3. मिजोरम
  4. अरुणाचल प्रदेश
  5. त्रिपुरा
  6. सिक्किम
  7. उत्तराखंड
  8. हिमाचल प्रदेश
  9. असम
  10. जम्मू और कश्मीर
  11. नागालैंड

क्या है विशेष राज्य के लिए मापदंड?

राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council) ने किसी भी राज्य को विशेष दर्जा देने के लिए कुछ मानदंड बनाए थे, जिनमें कुछ बातों का ध्यान रखा जाता था जैसे- राज्य के संसाधन, प्रति व्यक्ति आय, राज्य की आय के स्रोत, राज्य में जनजातीय आबादी, पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र, जनसंख्या घनत्व, प्रतिकूल स्थान और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित होना शामिल हैं. जो राज्य इस मानदंड को पूरा करता था, उसे यह विशेष राज्य का दर्जा (Special State States) दिया जाता था।

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