KK Pathak Salary: पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने बिहार के विश्वविद्यालयों के खातों के संचालन पर रोक लगाने एवं कुलपतियों के बैठक में भाग नहीं लेने के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि, शिक्षा विभाग (Education Department) स्वीकृत बजट राशि का भुगतान करे नहीं तो विभाग के सभी आला अधिकारियों के वेतन पर रोक लगा दिया जाएगा. आपको बता दें कि, इस मामले की अगली सुनवाई न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण ने 25 जून को तय की है.
विश्वविद्यालयों की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद, विंध्याचल राय, रितेश कुमार, राणा विक्रम सिंह, मो. असहर मुस्तफा, राजेश प्रसाद चौधरी ने कोर्ट को बताया कि, 16 मई को बिहार सरकार (Bihar Government) ने पत्र जारी कर विश्वविद्यालयों के बजट की समीक्षा हेतु बुलाई गई बैठक में भाग नहीं लिए जाने पर विश्वविद्यालय के सभी खातों के संचालन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है.
हम आपको बता दें कि, इसमें पूर्णिया विश्वविद्यालय एवं मुंगेर विश्वविद्यालय, मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय का नाम शामिल हैं. शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने बिहार के तीनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से स्पष्टीकरण मांगते हुए यह पूछा है कि, उन्हें पदच्युत करने की कार्रवाई प्रारंभ क्यों नहीं की जाए.
KK Pathak Salary: ‘यह आपकी उदासीनता को इंगित करता है’
आप सभी को बता दे कि, शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने तीन विश्वविद्यालयों के सभी खातों पर रोक लगाते हुए कुलपतियों से पूछा है कि, आपके बैठक में नहीं आने से विभागीय एवं विश्वविद्यालय के अधिकारियों का समय भी व्यर्थ हुआ।व है. कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आपके अनुपस्थित होने के कारण चर्चा नहीं थी. बजट से संबंधी कोई मामला अतिगंभीर होता है. इसमें कुलपति का होना आवश्यक होता है.
यह विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 11 (1) एवं (11) के तहत आपकी उदासीनता को इंगित करता है और इससे यह पता चला है कि, आप विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण कार्यों के प्रति उदासीन हैं. यह विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 48 एवं 50 का उल्लंघन है.
उनका कहना था कि, विश्वविद्यालय कानून (University Law) के तहत शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालय के किसी कर्मी को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है। बिहार सरकार की ओर से कोर्ट को महाधिवक्ता पीके शाही (Advocate General PK Shahi) ने बताया कि, विभाग के बैठक में जब तक वीसी भाग नहीं लेंगे तब तक शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) एक पैसा भी नहीं देगा.
उनका कहना था कि, सिर्फ वेतन लेने के लिए ही विश्वविद्यालय को खोला गया हैं. यही नहीं उनका कहना था कि यह सभी को पता है कि, वीसी की नियुक्ति कैसे होती हैं. सूबे के 13 विश्वविद्यालयों को बैठक में भाग लेने के लिए 15 मई से 29 मई के बीच समय तय किया गया था. इस पर कोर्ट ने कहा कि, वीसी और अधिकारी अहम का मुद्दा नहीं बना कर काम की बात करें. 25 जून को इस मामले की अगली सुनवाई होगी.
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