Live-in Relationship: हिंदू लड़का और मुस्लिम लड़की के लिव-इन-रिलेशनशिप….. : Life Style


Live-in Relationship: एक मामले की सुनवाई करते हुए लिव-इन रिलेशनशिप पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि, अलग-अलग समुदाय के लड़के और लड़की धर्म परिवर्तन किए बिना लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकते हैं। और यह पूरी तरह से गैर-कानूनी है।

हाईकोर्ट का यह फैसला यूपी के धर्मांतरण कानून के संदर्भ में भी

Allahabad High Court के इस फैसले ने भारत में Live-in Relationship को लेकर फिर से बहस छेड़ दी है। यह सवाल पूछा जा रहा है कि, क्या दो समुदाय के वयस्क लोगों को साथ रहने के लिए कानूनी परमिशन की जरूरत होगी?

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Live-in Relationship: पहले जानिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हम आप सभी को बता दे कि, जस्टिस रेनू अग्रवाल की एकल पीठ ने एक प्रेमी युगल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, धर्म परिवर्तन विवाह के प्रकृति के साथ सभी रिश्तों में भी जरूरी है, इसलिए धर्म परिवर्तन किए बिना लिव-इन में रहना गैर-कानूनी है।

प्रेमी युगल की इस मांग को हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया, जिसमें प्रेमी युगल ने पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। आपकों बता दे इस केस में लड़का हिंदू समुदाय से जबकि लड़की मुस्लिम समुदाय से है और दोनों मूल रूप से यूपी के कासगंज के रहने वाले हैं।

इस प्रेमी युगल का कहना था कि, उन दोनों जोड़े ने कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन दे दिया है, लेकिन उसमें समय लग रहा है। ऐसे में उन्हें पुलिस की सुरक्षा दी जाए, जिससे उनके साथ कोई अनहोनी न हो।

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हालांकि, दूसरे पक्ष का कहना था कि, लड़के या लड़की की ओर से धर्मांतरण अधिनियम की धारा 8 और 9 के तहत धर्म परिवर्तन के लिए अभी तक आवेदन नहीं दिया गया है, इसलिए दोनों का साथ रहना (Live-in Relationship) गैर-कानूनी है।

Live-in Relationship को लेकर भारत में कानून

भारत के कानून में Live-in Relationship की कोई परिभाषा नहीं है, लेकिन जब कोई प्रेमी युगल बिना शादी के एक ही घर में पति पत्नी की तरह रहते है तो इस रिश्ते को लिव-इन रिलेशनशिप कहा जाता है।

आप सभी को बता दे कि, पहली बार भारत में 1978 में बद्री प्रसाद बनाम डायरेक्टर ऑफ कंसॉलिडेशन केस में सुप्रीम कोर्ट ने Live-in Relationship को वैध माना था। तब कोर्ट ने कहा था कि, किसी भी व्यस्क लोगों को अपने पसंद से साथ रहने की छूट होनी चाहिए।

इसके बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग मौकों पर लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर सख्त टिप्पणी की है। भारत में व्यस्क नागरिकों को अनुच्छेद-21 के तहत किसी के साथ रहने और शादी करने की इजाजत मिलती है। हालांकि, लिखित तौर पर Live-in Relationship को लेकर भारत में कोई कानून नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में मार्च 2023 में एक याचिका दाखिल की गई थी, इस याचिका में कहा गया था कि, Live-in Relationship को लेकर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाए। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

लिव-इन रिलेशनशिप कब-कब माना गया गलत?

हम आप सभी को बता दे कि, कोर्ट के फैसलों के लिहाज से देखा जाए तो अब तक भारत में लिव-इन रिलेशनशिप को तीन मौकों पर गलत माना गया है।

  • प्रेमी युगल में से किसी की उम्र भी अगर 18 साल से कम है, तो यह गलत है. नाबालिग से जुड़े केस में सजा हो सकती है।
  • प्रेमी युगल में से अगर कोई शादीशुदा है, तो यह कानूनन अपराध होगा। इसके लिए उन्हें 7 साल की जेल हो सकती है।
  • दो तलाकशुदा लोग लिव-इन में रह सकते हैं, लेकिन अगर किसी एक का भी तलाक का मामला कोर्ट में अटका है, तो यह कानूनन गलत होगा।

अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को देखा जाए तो धर्म बदले बिना दो समुदाय के लोगों को भी लिव-इन रिलेशनशिप में रहना मुश्किल होगा.

जब लिव-इन रिलेशनशिप पर हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगस्त 2021 में Live-in Relationship से जुड़ी एक याचिका को खारिज करते हुए युगल जोड़ी पर 5 हजार का जुर्माना भी लगाया था, जिसमें प्रेमी युगल ने पुलिस सुरक्षा देने की मांग की थी।

हाईकोर्ट ने उस वक्त टिप्पणी करते हुए कहा था- ऐसे गैर-कानूनी रिश्तों के लिए पुलिस सुरक्षा देकर हम इन्हें इनडायरेक्टली मान्यता नहीं देना चाहेंगे। इसी साल राजस्थान हाईकोर्ट ने भी अपने एक फैसले में ऐसे रिश्ते को देश के सामाजिक ताने-बाने के खिलाफ बताया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2023 में Live-in Relationship को टाइम पास जैसा बताया था। हाईकोर्ट के 2 जजों की बेंच का कहना था कि, यह कुछ दिन का मोह है और यह खतरनाक साबित हो सकता है।

Live-in Relationship: बड़ा सवाल- हाईकोर्ट के फैसले से क्या बदलेगा?

हाईकोर्ट के इस फैसले से धर्मांतरण कानून फिर से सुर्खियों में आ गया है। UP में साल 2021 में धर्मांतरण कानून लागू किया गया था, जिसमें बल, लालच और साजिश से धर्म परिवर्तन कराने की प्रक्रिया को गलत माना गया था।

यूपी में अब धर्म बदले बिना कोई प्रेमी युगल लिव-इन में रहते हैं, तो पुलिस उनके खिलाफ धर्मांतरण का केस दर्ज कर सकती है। यानी हाईकोर्ट के इस फैसले से यूपी में उन प्रेमी युगल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, जो अलग-अलग समुदाय के होने के बाद भी लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं।

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