Lok Sabha Speaker: 25 जून काला अध्याय के रूप में जाना जाएगा? पहले ही दिन संविधान खतरे में


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Lok Sabha Speaker: दोबारा से लोकसभा स्पीकर बनते ही ओम बिरला ने सदन में इमरजेंसी का जिक्र कर दिया। इस पर सदन में काफी ज्यादा हंगामा खड़ा हो गया। ओम बिरला ने कहा कि, सदन इमरजेंसी की कड़ी निंदा करता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर इमरजेंसी लगाई थी। इस दौरान मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया और लोगों के अधिकारों को छीना गया। उनके इस बयान के बाद सदन में काफी हंगामा हुआ। विपक्ष के नेताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी

स्पीकर ओम बिरला समेत सत्ता पक्ष के नेताओं ने इमरजेंसी को लेकर 2 मिनट का मौन रखा, लेकिन इस बीच विपक्ष की नारेबाजी जारी रहा। फिलहाल लोकसभा को गुरुवार 27 जून तक स्थगित कर दिया गया है। वहीं, स्पीकर चुने जाने पर ओम बिरला ने कहा, “मैं सदन के स्पीकर के तौर पर फिर से काम करने का अवसर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और सदन के सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूं. मुझ पर भरोसा दिखाने के लिए आप सभी को धन्यवाद।”

Lok Sabha Speaker: 25 जून भारत के इतिहास में हमेशा काला अध्याय रहेगा

आपको बता दें कि, स्पीकर ओम बिरला (Speaker Om Birla) ने सदन को संबोधित करते हुए इमरजेंसी का जिक्र कर दिया, जिस पर विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। बिरला ने कहा, “ये सदन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 1975 में इमरजेंसी लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प के साथ इमरजेंसी का डटकर विरोद किया। साथ ही उन्होंने संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की जिम्मेदारी निभाई। भारत के इतिहास में 25 जून, 1975 हमेशा एक काला अध्याय रहेगा।”

इंदिरा गांधी ने भारत पर थोपी थी तानाशाही: स्पीकर ओम बिरला

लोकसभा स्पीकर (Lok Sabha Speaker) ओम बिरला ने कहा, “तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाये गये संविधान पर हमला किया और देश में आपातकाल लगाया। भारत को पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के तौर पर देखा जाता है। भारत में हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और बहस का समर्थन किया गया है और लोकतांत्रिक मूल्यों की सदैव रक्षा की गई है, उन्हें सदैव प्रोत्साहित किया गया है।”

लोकसभा स्पीकर ने आगे कहा, “भारत पर इंदिरा गांधी ने तानाशाही थोपी थी। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया। इमरजेंसी काल में भारत के नागरिकों के अधिकारों को नष्ट कर दिए गए। नागरिकों से उनकी आजादी छीन ली गई। इस दौर में विपक्षी नेताओं को जेलों में बंद किया गया, पूरे भारत को जेलखाना बना दिया गया था।”

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Lok Sabha Speaker: अन्याय का काल था आपातकाल

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने आगे कहा, “उस वक्त भी तानाशाही सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदियां लगा दी थीं और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश लगा दिया था। हमारे देश के इतिहास में इमरजेंसी का वो समय अन्याय काल था और एक काला कालखंड था।”

उन्होंने कहा, “उस समय की कांग्रेस सरकार ने इमरजेंसी लगाने के बाद कई ऐसे निर्णय लिए, जिन्होंने हमारे संविधान की भावना को कुचल दिया। क्रूर और निर्दयी मेंटेनेन्स ऑफ इंटरनल सेक्योरिटी एक्ट (Maintenance of Internal Security Act) में बदलाव करके कांग्रेस ने ये सुनिश्चित किया गया कि, हमारी अदालतें मीसा के तहत गिरफ्तार लोगों को न्याय नहीं दे पाएं।”

संविधान संशोधन कर शक्ति एक जगह की गई

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने आगे कहा, इमरजेंसी के दौरान मीडिया को सच लिखने से रोकने के लिए पार्लियामेंट्री प्रोसिडिंग्स (Protection of Publication) रिपील एक्ट, प्रेस काउंसिल (रिपील) एक्ट और प्रिवेन्शन ऑफ पब्लिकेशन ऑफ ऑब्जेक्शनेबल मैटर एक्ट (Prevention of Publication of Objectionable Matter Act) लाए गए।

इस काले कालखंड में ही संविधान में 38वां, 39वां, 40वां, 41वां और 42वां संशोधन हुआ। कांग्रेस सरकार के द्वारा किए गए इन संशोधनों का उद्देश्य था कि सारी शक्तियां एक ही व्यक्ति के पास आ जाएं, न्यायपालिका पर नियंत्रण हो और संविधान के मूल सिद्धांत खत्म किए जा सकें।”

Lok Sabha Speaker: आपाताकाल की क्रूर सच्चाई

1975 में 25 जून को कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट फैक्टो रैक्टीफिकेशन किया था, इस तानाशाही निर्णय पर मुहर लगाई थी। इससे हमारी संसदीय प्रणाली जो अनगिनत बलिदानों के बाद मिली। दूसरी आजादी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए आज ये प्रस्ताव किया जाना जरूरी है। हमारे युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए,

हम आपको बता दें कि, आपातकाल के दौरान सरकारी प्रताड़ना से अनगिनत लोगों को यातनाएं सहनी पड़ी थीं। उनके साथ उनके परिवार को भी असीमित कष्ट सहना पड़ा था। आपातकाल ने भारत के कितने लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया था। कितने लोगों की इस दौरान मौत हो गई थी। आपातकाल के इस काले खंड में तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों की स्मृति में लोकसभा दो मिनट का मौन रखा गया.

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