Maa Kushmanda : Religion


Maa Kushmanda: आप सभी को तो पर ही है कि, अब शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है. माता रानी के भक्तो के लिए नवरात्रि का पावन पर्व महत्वपूर्ण होता है और भक्त इस पर्व को काफी जोड़ शोर से मनाते। नवरात्रि के दौरान माता के नव रुपों कि पूजा की जाती है. और कल नवरात्रि का चौथा दिन है। इस दिन मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा की जाती है. अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण

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इन्हें मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) के रूप में पूजा जाता है. संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं. बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है. इस कारण से भी मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) कूष्मांडा कहलाती हैं. आज हम आप सभी को अपने इस लेख के माध्यम से मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूरी पूजन विधि, मंत्र एवं भोग के बारे में जानकारी देंगे.

मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) पूजन विधि-

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह उठकर नहाकर कर साफ़ वस्त्र धारण कर ले. इसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा कर मां कूष्मांडा (Mata Kushmanda) को नमन करें. इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है. देवी को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए.

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मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) से निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित करें कि, उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा. यदि आपके घर पर कोई लंबे समय से बीमार है तो नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा (Mata Kushmanda) से खास निवेदन कर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें.

हम आप सभी को बता दे कि, नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं. मां कूष्मांडा को विविध प्रकार के फलों का भोग अपनी क्षमतानुसार लगाएं. पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें.

मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) का जाप

मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) को योग-ध्यान की देवी माना जाता हैं. देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है. उदराग्नि को शांत करती हैं. इसलिए, नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी का मानसिक जाप करें. देवी कवच को पांच बार पढ़ना चाहिए.

पढ़ें देवी को प्रसन्न करने के मंत्र-

श्लोक-
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥

सरल मंत्र- ‘ॐ कूष्माण्डायै नम:।।’

मां कूष्मांडा की उपासना का मंत्र-
देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है- कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

मंत्र: या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें.

मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) का भोग

आप सभी को बता दे कि, मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद दें. इससे माता की कृपा स्वरूप उनके भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि और कौशल का विकास होता है. और इस अपूर्व दान से आपके जीवन के हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाता है.

सारांश

हम आज के अपने इस लेख के माध्यम से आप सभी को मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) के पूजा से जुड़ी संपूर्ण जानकारी दी है. ताकि आप सभी मां कूष्मांडा के पूजा विधि से सम्बंधित पूरी जानकारी पाकर इसका पूरा-पूरा लाभ प्राप्त कर सके. हम यह दावा बिल्कुल भी नहीं करते कि, हमारे द्वारा दि गई जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं. विस्तृत और अधिक जानकारी हेतु संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.



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