Mata Siddhidatri : Religion


Mata Siddhidatri : अभी नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है और नवरात्रि माता रानी के भक्तों के लिए काफी खास होता नवरात्रि के 9 दिन भक्त पूजा आराधना में व्यस्त रहते हैं. और आज नवरात्रि का अंतिम दिन यानी की नवमी तिथि है इस दिन मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) की पूजा की जाती है. आज हम आप सभी को अपने इस लेख के माध्यम से मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) की पूजन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी विस्तार से देंगे.

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या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और मां सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे अपनी कृपा का पात्र बनाओ.

हम आप सभी भक्तों को बता दे कि, मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं. ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं. नवरात्रि-पूजन के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) उपासना की जाती है. नवरात्रि-पूजन के नौवें दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है. और ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है.

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कहां जाता है कि, मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियां होती हैं. ब्रह्मवैवर्तपुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या अठारह बताई गई है.

Mata Siddhidatri: इनके नाम इस प्रकार हैं –

  1. अणिमा 2. लघिमा 3. प्राप्ति 4. प्राकाम्य 5. महिमा 6. ईशित्व,वाशित्व 7. सर्वकामावसायिता 8. सर्वज्ञत्व 9. दूरश्रवण 10. परकायप्रवेशन 11. वाक्‌सिद्धि 12. कल्पवृक्षत्व 13. सृष्टि 14. संहारकरणसामर्थ्य 15. अमरत्व 16. सर्वन्यायकत्व 17. भावना 18. सिद्धि

मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) भक्तों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं. देवीपुराण में कहा गया है कि, भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था. इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था. और शिव ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए.

मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) की चार भुजाएं हैं. और मां सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है. ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं. इनकी दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है. भक्त मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करें. उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो. इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है.

नवदुर्गाओं के नव रुपों में मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) अंतिम हैं. अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं. मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) की उपासना कर लेने के बाद भक्तों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाएं पूरी हो जाती है.

मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष नहीं बचती है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे. वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पृहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-शून्य हो जाता है. मां भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है. इन सब को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की जरूरत नहीं रह जाती.

मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) के चरणों का यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करनी चाहिए. मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है.

इनकी आराधना से जातक को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है. आजकल इतना कठिन तप तो कोई नहीं कर पाता है पर अपनी शक्तिनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना कर कुछ तो मां की कृपा का पात्र बनता ही है. प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है. मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) की भक्ति के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में नवमी के दिन इसका जाप करना चाहिए.

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सारांश

हम आज के इस लेख के माध्यम से आप सभी को मां सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) की पूजा विधि से जुड़ी संपूर्ण जानकारी दी है. ताकि आप सभी मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि से सम्बंधित पूरी जानकारी पाकर इसका पूरा-पूरा लाभ प्राप्त कर सके. हम यह दावा बिल्कुल भी नहीं करते कि, हमारे द्वारा दि गई जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी हेतु संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.



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